प्रशासनिक उत्पीड़न : हिंदी के लिए फिल्मी खलनायक की भूमिका में सीबीआईसी

राजभाषा के लिए आवाज उठाने पर कानपुर से सीधे आंध्र प्रदेश के गुंटूर भेजे गये सेंट्रल जीएसटी के कमिश्नर सोमेश तिवारी

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: यदि सीबीआईसी (केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ) का बस चले तो इस देश से हिन्दी को मिटा दे और अंग्रेजी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दे। हिन्दी के संदर्भ मे सीबीआईसी की भूमिका फिल्मी खलनायकों की तरह है। ये दर्द सेंट्रल जीएसटी के कमिश्नर (अपील) सोमेश तिवारी का है।

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जिस देश की राजभाषा हिन्दी है, वहां हिन्दी में सरकारी कामकाज से लेकर हिन्दी पत्रिका तक के लिए आवाज उठाना सीबीआईसी को इतना नागवार गुजरा कि भारतीय राजस्व सेवा के इस अफसर का तबादला सीधे कानपुर से आंध्रप्रदेश के गुंटूर में कर दिया गया। जिससे फिर कोई अफसर हिन्दी के लिए अपनी आवाज बुलंद करने की सोचे भी मत। पीएम और वित्त मंत्री से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अलबत्ता तिवारी के पत्र से सीजीएसटी में करोड़ों की वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा जरूर हो गया।

17 अप्रैल को भेजा गया सीबीआईसी अध्यक्ष को पत्र

कानपुर में सेंट्रल जीएसटी के कमिश्नर (ऑडिट) रहते सोमेश तिवारी ने सीबीआईसी के अध्यक्ष को 17 अप्रैल को एक पत्र भेजा था। जो लखनऊ जोन के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर डॉ. उमाशंकर द्वारा हिन्दी पत्रिका (प्रिंट प्रति) पर लगाए प्रतिबंध से जुड़ा था। पत्र के मुताबिक राजभाषा विभाग द्वारा दिए निर्देशों में परिवर्तन का अधिकार प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर को नहीं है। लखनऊ जोन के नौ कमिश्नर दफ्तरों में सिर्फ दो में ही हिन्दी पत्रिका प्रकाशित करवाई गयी।

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तिवारी ने मार्च में हिन्दी पत्रिका के लिए प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर से छह लाख का बजट मांगा था। इसके विपरीत उन्हें फंड की कमी बताकर सिर्फ 20 हजार का बजट ही दिया गया। लखनऊ जोन में अधिकांश कार्य सिर्फ अंग्रेजी में होता है। इसके बाद तिवारी का तबादला सीधे गुंटूर कर दिया गया। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद जो निर्देश न्यायपालिका ने दिए, उसका भी पालन सीबीआईसी करने को कतई तैयार नहीं हैं।

वाहनों में 200 करोड़ का अनाधिकृत खर्च, सीक्रेट फंड से खरीदी शराब 

पत्र के मुताबिक सीजीएसटी में कमिश्नर और ऊपर के अफसर सरकारी वाहनों के लिए अधिकृत हैं। फिर भी प्रतिवर्ष लखनऊ जोन में डेढ़ करोड़ और पूरे देश में 200 करोड़ का अनाधिकृत खर्च सरकारी वाहनों पर हो रहा है। पत्र में प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर उमाशंकर को सेंट्रल जीएसटी के सीक्रेट फंड से अफसरों द्वारा मंहगी शराब खरीदकर दिये जाने के आरोप लगाये गये हैं।

मैं खुद हिंदी माध्यम से पढ़ा हूं: डॉ उमाशंकर

सेंट्रल जीएसटी के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर (लखनऊ जोन) डॉ. उमाशंकर ने आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि मैं खुद हिन्दी माध्यम से पढ़ा हूं। यहां कोई सीक्रेट फंड नहीं है। सभी गाड़ियां नियमों के मुताबिक इस्तेमाल हो रही हैं। गलत बयानी पर कानूनी कार्रवाई हुई तो सोमेश तिवारी के लिए मुश्किल होगी।

नार्को टेस्ट तक कराने को तैयार हूं : सोमेश तिवारी

गुंटूर के कमिश्नर (अपील) सोमेश तिवारी ने कहा कि हमारा और प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर उमाशंकर का नार्को टेस्ट करा लिया जाए, सारा सच सामने आ जाएगा। आजतक नौकरी में एक रुपया भी मैंने नहीं लिया। हिन्दी के पक्ष में आवाज उठाने पर गुंटूर ट्रासंफर करके प्रताड़ित किया गया। हाईकोर्ट के निर्देश भी नहीं माने जा रहे हैं।

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