संपादक की कलम से: आसियान-भारत सम्मेलन का हासिल

Sandesh Wahak Digital Desk : इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन संपन्न हो गया। सम्मेलन में जहां आसियान देशों के साथ भारत ने अपने संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने पर जोर दिया वहीं आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, मुक्त हिंद प्रशांत क्षेत्र समेत तमाम मुद्दों पर वार्ता की। इसके अलावा भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत ने 12 सूत्री प्रस्ताव भी पेश किया।

सवाल यह है कि :-

  • भारत-आसियान देशों के इस शिखर सम्मेलन के निहितार्थ क्या हैं?
  • क्या हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर भारत, आसियान देशों को चीन के खिलाफ गोलबंद करने का प्रयास कर रहा है?
  • क्या आसियान देश चीन की विस्तारवादी नीति पर अंकुश लगाने में सफल रहेंगे?
  • क्या भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा?
  • क्या भारत, ग्लोबल साउथ के नाम पर आसियान देशों की आवाज बन सकेगा?
  • क्या कूटनीतिक तौर पर इस बैठक का कोई असर निकट भविष्य में दिखाई पड़ेगा?
  • क्या आसियान देश विकास केंद्रित नीति पर आगे बढ़ सकेंगे?

आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई संगठन) एक क्षेत्रीय संगठन है और इसकी स्थापना आठ अगस्त 1967 को की गयी थी। इसका उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच समृद्धि, आर्थिक विकास, शांति और स्थिरता बनाना है। इसका आदर्श वाक्य वन विजन, वन आईडेंटिटी और वन कम्युनिटी है। आसियान के 10 सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रूनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं। आसियान को इस क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है।

चीन की हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की नीति

भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं। आसियान के लिए सबसे बड़ी समस्या चीन की हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की नीति है। ये देश चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर सशंकित हैं। बैठक में आसियान देशों ने न केवल चीन के हाल में जारी नक्शे और हिंद प्रशांत नीति पर उसकी नीति के खिलाफ चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग के सामने आपत्ति दर्ज करायी बल्कि इसे सिरे से खारिज भी कर दिया।

वहीं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर न केवल आतंकवाद, उसके वित्तपोषण और साइबर दुष्प्रचार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने का आह्वान किया बल्कि भारत से इन देशों के संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया। मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भी वकालत की।

दरअसल, भारत, आसियान के इन देशों के साथ संबंधों को लगातार मजबूत कर रहा है ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी पर अंकुश लगाया जा सके। इस मामले में भारत को अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया जैसे देशों का साथ भी मिल रहा है। साफ है, यह बैठक कूटनीतिक तौर पर सफल कही जा सकती है क्योंकि इससे चीन पर दबाब बढ़ा है। वहीं इन देशों से व्यापारिक संबंधों के विस्तार से न केवल आसियान देशों बल्कि भारत को भी फायदा होगा।

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