संपादक की कलम से : भारत मार्ट और स्थानीय उत्पाद

Sandesh Wahak Digital Desk: यूएई के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई के जेबेल अली मुक्त व्यापार क्षेत्र में भारत मार्ट प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। इस व्यापारिक केंद्र का संचालन साल 2025 तक होने की संभावना है। यह मार्ट जेबेल अली बंदरगाह के करीब है जो भारतीय कंपनियों को यहां वेयर हाउस की सुविधा प्रदान करेगा।

सवाल यह है कि :

  • भारत मार्ट प्रोजेक्ट से देश को क्या फायदा होगा?
  • क्या इसके जरिए भारतीय उत्पादों को खाड़ी और अन्य देशों तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा?
  • क्या सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को इससे लाभ मिलेगा?
  • क्या भारत-यूएई के द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को इससे और मजबूती मिलेगी?
  • क्या इस वेयर हाउस से भारतीय कंपनियों की पहुंच अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक आसानी से हो सकेगी?
  • क्या भारत ने इसके जरिए खाड़ी देशों में चीनी उत्पादों को टक्कर देने की रणनीति बनायी है?

पीएम मोदी के यूएई दौरे के दौरान भारत मार्ट का शिलान्यास कई मायनों में अहम है। इसने एक ओर न केवल यूएई में भारतीय कंपनियों और उत्पादों की पहुंच बढ़ाने की कोशिश की है बल्कि यहां जमे चीनी उत्पादों को भी टक्कर देने की रणनीति अपनायी है। दुबई के इस क्षेत्र में चीन ने दो ड्रैगन मार्ट संचालित कर रखे हैं और यहां से उसके उत्पाद न केवल खाड़ी देशों में भेजे जाते हैं बल्कि अन्य देशों में इसका निर्यात किया जाता है।

इसका सीधा फायदा कंपनियों और भारतीय लघु उद्यमों को मिलेगा

भारत मार्ट के संचालन के साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के उत्पादों की पहुंच पश्चिम एशिया, अफ्रीका व यूरोपीय देशों के अंतरराष्ट्रीय खरीदारों तक बन जाएगी। इसका सीधा फायदा कंपनियों और भारतीय लघु उद्यमों को मिलेगा। दरअसल, भारत सरकार लगातार स्थानीय उत्पादों को न केवल प्रोत्साहित करने की नीति पर चल रही है बल्कि उनको अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक बनाकर वैश्विक बाजार में अपने पैर भी जमाना चाहती है ताकि देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।

मसलन, उत्तर प्रदेश सरकार एक जिला, एक उत्पाद के जरिए इस नीति को तेजी से आगे बढ़ा रही है और इसका फायदा भी मिल रहा है। ऐसे में भारत मार्ट की स्थापना से देश भर के स्थानीय उत्पादों की वैश्विक बाजार में पहुंच आसान हो सकेगी। मांग बढऩे से देश के अंदर स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन विकसित होंगे और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

हालांकि भारतीय उत्पादों को चीनी उत्पादों से टक्कर लेनी होगी जो यहां पहले से जमे हैं। साफ है भारतीय कंपनियों को चीन के उत्पादों के मुकाबले अपने उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर करनी होगी साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी धमक भी बनानी होगी। चीन को भी इसका अंदेशा है, यही वजह है कि भारत मार्ट के शिलान्यास के साथ ही वह चौकन्ना हो चुका है। लिहाजा सरकार को सतर्क रहना होगा ताकि चीन इसमें अंडग़ा लगाने की साजिश न रच सके।

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