मंडी परिषद घोटाला: घोटाले के आरोप-पत्रों की जांच में निकाल दिए दो साल

पीएम के संसदीय क्षेत्र पहड़िया मंडी में करोड़ों के निर्माण घोटाले का मामला

Sandesh Wahak Digital Desk : प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पहड़िया मंडी में हुए निर्माण कार्यों के घोटालेबाजों को बचाने का बड़ा खेल चल रहा है। दो-दो बार हुए जांच में जिन आरोपियों का दोष सिद्ध हो गया था, उन्हें आंशिक समयों के लिए निलंबित किया गया और बहाल करके दोबारा बहाल करके फिर से मलाईदार पदों पर बैठा दिया गया।

घोटाले का मीडिया ट्रायल दबाने के लिए उच्चाधिकारियों ने सिर्फ कार्रवाई की, मामला शांत होने पर फिर से उन्हीं आरोपियों को बहाल किया गया। करोड़ों के घोटाले के आरोप लगे, रिकवरी एक रुपए की नहीं हुई। इन आरोपियों के आरोपपत्रों की जांच में ही संयुक्त निदेशक निर्माण ने दो साल लगा दिए। यानी उक्त प्रकरण के जांच अधिकारी संयुक्त निदेशक निर्माण अभी तक जांच के लिए वाराणसी से अभिलेख नहीं मंगा पाए हैं। जाहिर सी बात है कि जांच अधिकारी के स्तर पर भी आरोपियों को बचाने का खेल बदस्तूर जारी है।

आरोपी को निलंबित कर फिर बहाल किया, करोड़ों के घोटाले में एक रुपए की रिकवरी नहीं

गौरतलब हो कि पहाड़िया मंडी में निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था। घोटाले की जांच रिपोर्ट 2020 में तत्कालीन उपनिदेशक निर्माण रामनरेश सोनकर ने तत्कालीन निदेशक जेपी सिंह को सौंपी थी। इस दौरान तत्कालीन निदेशक ने समस्त आरोपियों को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर का भी आदेश दिया था। एफआईआर दर्ज होने के कुछ समय बाद तत्कालीन निदेशक का तबादला हो गया। इसके बाद शुरू हो गया इस घोटाले को दबाने का खेल।

इन आरोपियों से करीब साढ़े चार करोड़ रुपए वसूली होनी थी, लेकिन वसूली तो दूर आरोपियों को बहाल करके पुन: मलाईदार पदों पर नवाज दिया गया। एफआईआर की जांच में भी उच्चाधिकारियों द्वारा असहयोग करते हुए आरोपियों के पक्ष में ही वकालत की गई। हालांकि एफआईआर की विवेचना का कुछ अता-पता नहीं है।

अवर अभियंता को बचाने के लिए दो वर्ष से जांच दबाए बैठे हैं जांच अधिकारी

उधर, उसी समय आरोपपत्रों की जांच संयुक्त निदेशक निर्माण इंदल प्रसाद को दी गई थी, ताकि विभागीय कार्रवाई की जा सके। इंदल प्रसाद को यह जांच मिले दो वर्ष हो गए, लेकिन उन्होंने जांच के लिए एक कदम नहीं उठाया। आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता कि विभाग के उच्चाधिकारी आरोपियों को किस हद तक बचाने में लगे हैं। जांच को लेकर जब इंदल प्रसाद से पूछताछ की गई तो उन्होंने झूठ बोल दिया।

अभिलेखों को लेकर अभी तक कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ

उन्होंने कहा कि आरोपों की जांच के लिए वाराणसी के उपनिदेशक निर्माण एसके वर्मा से 20 दिन पहले अभिलेखों की मांग की गई है। उन्होंने अभी तक अभिलेख नहीं भेजा है तो क्या किया जाए। उधर, जब इस प्रकरण पर उपनिदेशक निर्माण एसके वर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दो दिन पहले एक बैठक के दौरान उन्होंने मौखिक रूप से कहा था कि अभिलेख भेज दो जांच करनी है। लेकिन अभिलेखों को लेकर अभी तक कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ।

हालांकि मौखिक आदेश पर ही अभिलेख संयुक्त निदेशक निर्माण के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा। दोनो अधिकारियों के बयानों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जांच अधिकारी इंदल प्रसाद आरोपियों को बचाने के लिए कितना झूंठ बोल रहे हैं। खास बात यह है कि इतने बड़े भ्रष्टाचार पर मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी भी जांच को लेकर चुप हैं। एक बार रिमाइंडर भी नहीं जारी किया।

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