भारतीय रिज़र्व बैंक ने की रेपो रेट में 0.50% की कटौती, सस्ते होंगे कार-घर समेत सभी तरह के लोन

Sandesh Wahak Digital Desk: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। अब रेपो रेट घटकर 5.5 प्रतिशत हो गया है, जो पहले 6 प्रतिशत था। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब महंगाई दर 4 प्रतिशत की आरबीआई सीमा से नीचे आ गई है और अब यह 3.2 प्रतिशत पर आ गई है।

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह भी घोषणा की कि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा रही है। यह कटौती चार चरणों में लागू की जाएगी। 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से हर बार 25-25 बेसिस पॉइंट की कमी की जाएगी। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी आने की उम्मीद है, जिससे कर्ज वितरण और लिक्विडिटी को बल मिलेगा।

रेट में कटौती से कर्ज सस्ता, निवेश को मिलेगा बढ़ावा

नीतिगत दरों में कटौती से बैंकों के लिए कर्ज सस्ता हो जाता है, जिससे आम लोगों और व्यवसायों को ऋण लेना आसान होता है। इससे खपत और निवेश दोनों में तेजी आती है, जो आर्थिक विकास को गति देने में मदद करता है। हालांकि, इसका असली लाभ तभी मिलेगा जब बैंक यह फायदा उपभोक्ताओं तक समय पर और पूरी तरह से पहुंचाएं।

नीतिगत रुख अब ‘न्यूट्रल’, महंगाई में स्थायीत्व

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि फरवरी से अब तक रेपो रेट में कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है। इसलिए मौद्रिक नीति का रुख ‘एकोमोडेटिव’ से बदलकर अब ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया है, जिससे आर्थिक विकास और महंगाई दोनों पर बराबर नजर रखी जा सके। आरबीआई का मानना है कि फिलहाल महंगाई दर स्थिर हो गई है और यह उनके लक्ष्य के दायरे में बनी हुई है। इसी को ध्यान में रखते हुए महंगाई का अनुमान 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया गया है।

निवेशकों के लिए सुनहरा अवसर

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। कॉरपोरेट्स, बैंकों और सरकार की बैलेंस शीट मजबूत है और बाहरी आर्थिक स्थिति भी स्थिर बनी हुई है। देश में डेमोग्राफी, डिजिटलीकरण और घरेलू मांग जैसे कारक निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रबी फसल को लेकर जो अनिश्चितताएं थीं, वे अब काफी हद तक दूर हो चुकी हैं। गेंहू और दालों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है, जबकि खरीफ फसलों की अच्छी आवक से खाद्य महंगाई में स्थायीत्व आने की उम्मीद है।

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