Invest UP: 400 करोड़ की घूसखोरी मामले में अभी तक अभिषेक प्रकाश को चार्जशीट नहीं

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है। राहत इंदौरी के इस शेर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के सरकारी दावे बिलकुल सटीक बैठते हैं।
ख़ास तौर पर इन्वेस्ट यूपी में 400 करोड़ के घूसखोरी से जुड़े प्रकरण में। यूपी के इस बेहद हाईप्रोफाइल मामले के खुलासे के बाद जिस अंदाज में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई का हंटर चलाया था। उससे नौकरशाही के भ्रष्ट चेहरों में खलबली मच गयी थी। इसके बाद संवेदनशील मामले में जिस अंदाज में लापरवाही बरती जा रही है। उससे भ्रष्टों के हौसले बुलंद हैं।
सूबे की नौकरशाही ने एकजुट होकर अपने साथियों को बचाने के लिए मानो एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। वर्ना जिस प्रकरण में खुद सीएम योगी गंभीर हैं, कम से कम उसमें लापरवाही करने की हिमाकत अफसर न करते।
नियुक्ति विभाग द्वारा मांगी जरूरी सूचनाओं का जवाब नहीं दे रहा इन्वेस्ट यूपी
तीन दिन पहले ही पुलिस अफसरों के लचर रवैये ने दलाल निकान्त जैन की जमानत पर जेल से रिहाई सुनिश्चित कराई है। इसके बाद अगला खुलासा निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश को लेकर है। इन्वेस्ट यूपी के इस निलंबित सीईओ के खिलाफ अभी चार्जशीट तक तैयार नहीं हो सकी है। 20 मार्च को सीएम के आदेश पर नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने तत्काल निलंबन आदेश जारी कर दिया था। जिसके बाद नियमों के मुताबिक नियुक्ति विभाग द्वारा इन्वेस्ट यूपी के सीईओ को पत्र भेजकर रिश्वतखोरी प्रकरण में कई अहम बिंदुओं पर जरुरी सूचनाएं मांगी गयी थीं।
इन सूचनाओं के जवाब आने के बाद ही नियुक्ति विभाग आईएएस अभिषेक प्रकाश को भ्रष्टाचारों के आरोपों पर चार्जशीट थमाता। ख़ास बात ये है कि कई दिन बीतने के बावजूद अभी तक इन्वेस्ट यूपी के सीईओ की तरफ से नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को कोई जवाब नहीं दिया गया है। नियुक्ति विभाग के अफसरों ने आईएएस अभिषेक प्रकाश के ऊपर लगे घूसखोरी के आरोपों के साक्ष्य भी तलब किये हैं। जिससे मजबूत चार्जशीट तैयार हो सके। लेकिन इन्वेस्ट यूपी के शीर्ष अफसर अपने पूर्व मुखिया के ऊपर पूरी तरह मेहरबान नजर आ रहे हैं।
सवाल लाख टके का है कि क्या दलाल निकांत जैन को जमानत दिलाने के बाद निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश के लिए जल्द बहाली का रोडमैप तो नहीं तैयार किया जा रहा है।
नियुक्ति विभाग और इंवेस्ट यूपी के शीर्ष अफसरों ने साधी चुप्पी
विजिलेंस जांच शुरू कराने में भी हुई थी देरी
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