जनगणना की अधिसूचना पर अखिलेश यादव ने कसा तंज, बोले- भरोसे के काबिल नहीं बीजेपी के आंकड़े

Sandesh Wahak Digital Desk: केंद्र सरकार ने 16वीं जनगणना के आयोजन को लेकर 16 जून, सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी है। इस बार जनगणना के साथ-साथ जातिगत आंकड़ों को भी दर्ज किया जाएगा। वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि “भाजपा के आंकड़ों पर किसी को भरोसा नहीं है”, और सभी को सतर्क रहने की जरूरत है।

अखिलेश यादव ने जताई आशंका

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा,“अब तो जनगणना की तारीख भी आ गई है। हमें मिलकर काम करना होगा। यह समय सावधानी बरतने का है क्योंकि आंकड़ों में गड़बड़ी की पूरी आशंका है। कहीं ऐसा न हो कि किसी राज्य के आंकड़े किसी और राज्य से जोड़ दिए जाएं। बीजेपी के आंकड़ों पर जनता को भरोसा नहीं है।”

जनगणना की तारीख और प्रक्रिया की जानकारी

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, भारत की 16वीं जनगणना वर्ष 2027 में की जाएगी, जिसमें जातिगत गणना भी शामिल होगी। इससे पहले इस प्रकार की गणना वर्ष 2011 में की गई थी। लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फबारी वाले क्षेत्रों में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 (रात्रि 12:00 बजे) होगी। देश के अन्य भागों में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 (रात्रि 12:00 बजे) तय की गई है।

जनगणना में शामिल होंगे लाखों कर्मी

सरकारी बयान के अनुसार, जनगणना का यह महाभियान करीब 34 लाख गणनाकर्मियों और पर्यवेक्षकों की मदद से संपन्न किया जाएगा। साथ ही, लगभग 1.3 लाख कर्मियों को डिजिटल उपकरणों से लैस किया जाएगा ताकि आंकड़ों का संग्रह तकनीक-समर्थ और पारदर्शी तरीके से हो।

जनगणना दो चरणों में होगी पूरी:

पहला चरण: हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (HLO):  इस चरण में देश के प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और बुनियादी सुविधाओं की जानकारी एकत्र की जाएगी।

दूसरा चरण: जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE) इस चरण में नागरिकों की जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक स्थिति और व्यक्तिगत विवरण दर्ज किए जाएंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने की समीक्षा बैठक

जनगणना की तैयारियों को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें गृह सचिव, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उन्होंने जनगणना के सभी पहलुओं की समीक्षा की और सुनिश्चित किया कि प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और सटीक हो।

भारत में 2027 में होने जा रही यह जनगणना केवल जनसंख्या आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जातिगत और सामाजिक-आर्थिक संरचना की व्यापक तस्वीर भी सामने लाएगी। हालांकि, विपक्षी दलों द्वारा उठाई गई चिंताओं के बीच, यह सरकार की ईमानदारी और पारदर्शिता की बड़ी परीक्षा मानी जा रही है।

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