Sandesh Wahak Digital Desk: राजधानी में दिवंगत भूमाफिया दिलीप बाफिला के परिवार पर कई हजार करोड़ की लाखों वर्गमीटर जमीन के खेल पर शिकंजा कस गया है।
एक तरफ जहां हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सुनवाई के दौरान ही एक दिन पहले पुलिस को गाजीपुर थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। वहीं सरकारी विभाग भी इतने बड़े फर्जीवाड़े की कलंक कथा देख खुद को बचाने में जुट गये हैं। बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति और द हिमालयन सहकारी आवास समिति में भूमि फर्जीवाड़ों की फेहरिस्त लम्बी है। एलडीए व सरकारी महकमों के साथ ही आयकर विभाग और ईडी भी लखनऊ में मनी लांड्रिंग के इतने बड़े सिंडिकेट पर वर्षों से मेहरबान है।
बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी समिति और द हिमालयन सहकारी समिति का फर्जीवाड़ा
पूरा खेल रसूखदार अफसरों और नेताओं को उपकृत करने का है। जिसमें बाफिला को महारथ हासिल थी। आयकर विभाग की इंवेस्टिगेटिंग विंग ने दो साल पहले भूमाफिया रहे दिलीप बाफिला एन्ड कम्पनी के भूमि घोटालों की जांच शुरू की थी। लखनऊ के कई पॉश इलाकों में बाफिला ने दो दशक पुराने एग्रीमेंट दिखाकर न सिर्फ करोड़ों के आयकर की चोरी की बल्कि स्टाम्प में खेल के सहारे यूपी सरकार को भी तगड़ी आर्थिक चपत लगाई। आयकर की जांच इकाई के अफसरों ने करीब 50 से ज्यादा भूखंडों की रजिस्ट्री में खेल को पकड़ा था।
आयकर अफसरों के मुताबिक इन कीमती भूखंडों में से अधिकांश सस्ती दरों पर सरकारी तंत्र के जिम्मेदारों को बेचे गए थे। जिसमें पुलिस के बड़े अफसर भी शामिल हैं। बाकायदा एग्रीमेंट में कूटरचना भी की गयी। बस यहीं से आयकर की जांच दफन होना शुरू हो गयी। आयकर अफसरों ने जैसे ही भूखंडों के खरीदारों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाना शुरू किया। मानो हडक़ंप ही मच गया। असल में दोनों सोसाइटियों के जरिये सरकारी तंत्र के रसूखदार जिम्मेदारों ने जो बेनामी सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त की थी। उसका कच्चा चिट्ठा खुलना शुरू हो गया था। इसीलिए आयकर विभाग की जांच इकाई से बेनामी यूनिट के पास जांच के लिए पूरा घोटाला सम्भवत: भेजा ही नहीं गया होगा।
अरबों की टैक्स चोरी मामले में आयकर विभाग ने साधी चुप्पी
बेनामी कानून के तहत ऐसे मामलों की जांच आयकर विभाग की बेनामी जांच इकाई ही करती है। नियमों के मुताबिक आयकर विभाग के अफसर ईडी से भी बेनामी सम्पत्तियों और संभावित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों से जुडी रिपोर्ट सांझा करते हैं। इसके बावजूद ईडी ने कभी बाफिला गैंग की अरबों की मनीलांड्रिंग पर शिकंजा कसना मुनासिब ही नहीं समझा। एक दिन पहले ही हाईकोर्ट ने साफतौर पर कहा है कि पुलिस अफसर मनीलांड्रिंग ऐक्ट के तहत भी कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले कभी पुलिस और ईडी ने पीएमएलए ऐक्ट को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। फिलहाल आयकर विभाग के अफसर भी अरबों की टैक्स चोरी के इतने संगीन मामले पर चुप्पी साधे हैं। अन्यथा अभी तक उन पुराने सदस्यों को न्याय मिल चुका होता, जिन्हें भूखंडों के रूप में आजतक इन ठग समितियों ने सिर्फ ठेंगा दिखाने का काम किया है। बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति और द हिमालयन सहकारी आवास समिति के हजारों करोड़ के भूमि घोटालों की जांच यूपी सरकार को सीबीआई से करानी चाहिए।
पीयूष मोर्डिया
पुलिस अफसरों की तेजी क्यों हुई गायब, जब्त करनी थीं करीब 50 करोड़ की संपत्तियां
चार साल पहले तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था पीयूष मोर्डिया ने गैंगस्टर एक्ट के तहत भूमाफिया दिलीप बाफिला और भतीजे प्रवीण बाफिला पर शिकंजा कसा था। सचिवालय में कभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रहे दिवंगत बाफिला ने बीते तीन दशकों के दौरान गोमतीनगर में जमीनों का फर्जीवाड़ा सबसे ज्यादा किया था। 2021 में अपराध से अर्जित 48 करोड़ 22 लाख से ज्यादा की सम्पत्तियों को लखनऊ पुलिस ने जब्त करने के लिए चिन्हित किया था। पुलिस ने तत्समय बाफिला परिवार के सभी सदस्यों की सम्पत्तियों की खोजबीन शुरू की। समय बीतने के साथ लखनऊ कमिश्नरेट के पुलिस अफसरों का जोश आखिर क्यों ठंडा हो गया, ये गहन जांच का विषय है। दिवंगत गैंगस्टर बाफिला के ऊपर तत्समय डेढ़ दर्जन केस दर्ज थे। हजारों करोड़ के भूमि घोटालों की कलंक कथा की जांच सीबीआई से कराई जाए तो कई बड़े अफसरों और नेताओं के चेहरों से नकाब हटते देर नहीं लगेगी।