सम्पादक की कलम से : भारत-यूएई की नई पहल के निहितार्थ

Sandesh Wahak Digital Desk : भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आर्थिक संबंधों में एक नया अध्याय लिखा है। दोनों देशों ने अपनी-अपनी करेंसी रुपया और दिरहम में कारोबार करने पर सहमति जता दी है।

इसके अलावा भारत की एकीकृत भुगतान प्रणाली यूपीआई को यूएई के तत्काल भुगतान मंच आईपीपी से जोड़ने के समझौते पर भी हस्ताक्षर कर दिए गए हैं। यह व्यवस्था ठीक ढंग से संचालित हो सके इसके लिए दोनों देशों के केंद्रीय बैंक जल्द ही स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली का गठन करेंगे।

सवाल यह है कि :-

  1. स्थानीय करेंसी और भुगतान प्रणालियों को जोड़ने का दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
  2. क्या विभिन्न देशों द्वारा स्थानीय करेंसी में एक दूसरे से कारोबार की बढ़ती प्रवृत्ति वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काबिज डॉलर को विस्थापित कर देगी?
  3. क्या स्थानीय भुगतान प्रणालियों से दोनों देशों में बसे एक-दूसरे के नागरिकों को बेहतर भुगतान की सुविधा मिल सकेगी?
  4. क्या द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य में और इजाफा हो सकेगा?

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच पुराने और गहरे संबंध रहे हैं। इन संबंधों को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी संबंधों का एक नया अध्याय आपसी करेंसी में कारोबार करने का समझौता कर लिखा गया है। इससे दोनों देशों को फायदा होना तय है क्योंकि भारत, यूएई का दूसरा सबसे बड़ा और यूएई, भारत का तीसरा सबसे बड़ा साझीदार देश है। दोनों देशों के बीच 84 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार है।

भारतीय समुदाय सबसे बड़ा जातीय समुदाय

यही नहीं यहां प्रवासी भारतीय समुदाय सबसे बड़ा जातीय समुदाय है और कुल आबादी में इसकी संख्या का करीब तीस फीसदी है। भारतीय प्रवासियों की संख्या यहां हर साल बढ़ती रहती है। इसके अलावा भारत बड़ी मात्रा में यूएई से कच्चा तेल आयात करता है। यूएई से भारत करीब दो लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात करता है। यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से सबसे अधिक कच्चा तेल आयात किया। इसके कारण मध्य एशिया के देशों से कच्चे तेल को लेकर भारत की निर्भरता कम हुई।

इससे एशियाई देश चिंतित हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था तेल पर ही टिकी हुई है। इसमें दो राय नहीं कि भारत और यूएई के बीच हुए ताजा समझौतों से दोनों देशों को लाभ होगा। इससे न केवल भारत, यूएई से अधिक मात्रा में कच्चा तेल आयात कर सकेगा बल्कि वहां काम कर रहे लाखों भारतीयों को भारत में रह रहे अपने परिवार को पैसा भेजने में भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

इसके अलावा यूएई और भारत को एक-दूसरे से व्यापार करने में डॅालर की निर्भरता खत्म हो जाएगी। इससे दोनों देशों की मुद्राएं भी वैश्विक स्तर पर मजबूत होंगी और अमेरिका की डॉलर कूटनीति के दबदबे से भी बच जाएंगी। साफ है यह समझौता आने वाले दिनों में विश्व की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर छोड़ेगी। इससे कई विशेष कर छोटे देशों में आपसी करेंसी में व्यापार करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।

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