संपादक की कलम से: वेबसाइटों पर प्रतिबंध के मायने 

Sandesh Wahak Digital Desk : केंद्र सरकार ने नौकरी-रोजगार के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली सौ से ज्यादा वेबसाइट को बैन कर दिया है। इन वेबसाइटों को विदेशों से संचालित किया जाता था। जांच से पता चला है कि ठगी से मिली रकम को क्रिप्टो करेंसी, कार्ड नेटवर्क, एटीएम पेमैट व अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों के माध्यम से विदेश पहुंचा दिया जाता था। हालांकि  सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस धन का प्रयोग कहां किया जाता है।

सवाल यह है कि :

  • क्या बैन लगा देने भर से ऑनलाइन ठगी का यह धंधा देश में रुक जाएगा?
  • क्या इसका पैसा देश विरोधी गतिविधियों में लगाया जा रहा है?
  • क्या इन वेबसाइटों के संचालक दूसरे नाम से ठगी नहीं करेंगे?
  • ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना अभी तक क्यों नहीं बनायी जा सकी?
  • इस प्रकार की वेबसाइट किन देशों से संचालित किए जा रहे थे?
  • क्या सरकार को अपने आईटी कानूनों को और अधिक सख्त बनाने की जरूरत नहीं है?
  • क्या जनता को ठगी से बचाने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है?
  • जो लोग ठगे जा चुके हैं उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा?

इंटरनेट के साथ ही दुनिया में एक अलग तरह का अपराध भी तेजी से फलफूल रहा है। इसे साइबर क्राइम के नाम से जाना जाता है। साइबर अपराधी इंटरनेट के जरिए घर-घर तक पहुंच चुके हैं और दुनिया के किसी कोने में बैठकर लोगों को निशाना बना रहे हैं। वे साइबर अपराध के रोज नए-नए तरीके खोज रहे हैं।

पार्ट टाइम नौकरी का झांसा देकर ठगी

प्रतिबंधित की गई वेबसाइटस संचालक भी विदेश से लोगों को ठगने का काम कर रहे थे। इसके तहत वे  लोगों को पार्ट टाइम नौकरी देने या घर बैठे कमाने का झांसा देकर उनसे रकम ऐंठते थे। सच यह है कि सरकार ने केवल उन्हीं वेबसाइटों को प्रतिबंधित किया है, जिनकी शिकायतें उसे मिली थीं जबकि ऐसी न जाने कितनी वेबसाइटें अभी भी लोगों को ठगने का काम कर रही होंगी।

प्रतिबंधित वेबसाइटें विदेशों से संचालित की जाती थी ताकि वे भारत के कानून और पुलिस की शिकंजे से बची रह सकें। जांच से स्पष्ट हो चुका है कि ठगी के लिए देशभर में पूरा नेटवर्क तैयार किया गया था। वेबसाइट के जरिए ठगी करने से लेकर लोगों से ऐंठी गई रकम को योजना बनाकर विदेश पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी।

हैरानी की बात यह है कि यह सब बहुत दिनों से देश में चल रहा है और इस पर अब जाकर कार्रवाई की गई। इसमें दो राय नहीं कि आज भी ऐसी साइटों के संचालक अभी भी लोगों को अपना निशाना बना रहे होंगे। सरकार अगर ऑनलाइन ठगी से लोगों को बचान चाहती है तो उसे न केवल अपने आईटी कानून को सख्त करना होगा। बल्कि दुनिया के देशों के साथ इन पर शिकंजा कसने के लिए करार भी करना होगा। इसके अलावा जनता को ऑनलाइन साइबर क्राइम के प्रति जागरूक भी करना होगा। सरकार को यह भी जांच करनी चाहिए कि कहीं यह पैसा देशविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है।

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