संपादक की कलम से: पर्यटन विकास पर फोकस के मायने

Sandesh Wahak Digital Desk : देश और प्रदेश में केंद्र व राज्य सरकारें लगातार पर्यटन के विकास पर जोर दे रही हैं। खुद प्रधानमंत्री पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर देते रहे हैं। इसके लिए वे न केवल धरोहरों और पहाड़ों के पर्यटन केंद्रों को विभिन्न सुविधाओं से लैस करने बल्कि उपेक्षित धार्मिक-पौराणिक स्थलों को पर्यटन केंद्र बनाने पर भी बल देते हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में पीएम ने एक बार फिर यहां उपेक्षित पड़े स्थलों को विकसित करने को राज्य सरकार से कहा है। केंद्र की मंशा के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार भी पर्यटन स्थलों के विकास पर जोर-शोर से काम कर रही है।

सवाल यह है कि :-

  • पर्यटन के विकास पर केंद्र व भाजपा शासित राज्य इतना फोकस क्यों कर रहे हैं?
  • पर्यटन स्थलों के विकास से क्या देश और प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकेगी?
  • क्या इससे स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे?
  • क्या आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को जमीन पर उतारने में पर्यटन अहम भूमिका निभा सकेगा?
  • क्या केवल पर्यटन स्थलों का विकास ही पर्याप्त होगा?
  • क्या इसका असर पहाड़ी इलाकों की भूगर्भिक संरचना पर नहीं पड़ेगा?
  • क्या पर्यटन उद्योग आने वाले दिनों में बेरोजगारी कम करने का बड़ा साधन बन सकेगा?

देश में ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के हजारों पर्यटन केंद्र हैं। हालांकि इनमें से कुछ पर ही फोकस किया जाता रहा है। 2014 में केंद्र की सत्ता बदलने के बाद देश में पर्यटन के विकास पर फोकस किया गया। सरकार ने उपेक्षित पर्यटन स्थलों के महत्व को समझा और इसके विकास पर पैसा भी खर्च किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अन्य राज्य भी अपने यहां पर्यटन स्थलों को विकसित करने में जुटे हैं।

उत्तर प्रदेश में पर्यटन बेहतर राजस्व उपलब्ध करा रहा

आज उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल और छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विकास पर सरकारें ध्यान दे रही हैं। मसलन उत्तर प्रदेश में सरकार ने इसके विकास के लिए अलग पर्यटन नीति बना दी है और हर साल भारी-भरकम बजट भी आवंटित करती है। तीर्थक्षेत्रों से लेकर प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का कायाकल्प किया जा रहा है। इसका फायदा भी दिख रहा है। कोरोना काल को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश में पर्यटन बेहतर राजस्व उपलब्ध करा रहा है। यहां हर साल देश-विदेश से आने वालों की संख्या बढ़ रही है।

वहीं पहाड़ों पर पर्यटन स्थलों को विकसित करने में मानकों को दरकिनार करने के कारण यहां के हालात बिगड़ रहे हैं। प्रकृति केंद्रित निर्माण नहीं होने के कारण यहां बादल फटने के कारण कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। जाहिर है कि पहाड़ी राज्यों को इस पर ध्यान देना होगा अन्यथा पर्यटन विकास को बड़ा धक्का लग सकता है।

साफ है, पर्यटन विकास स्थानीय स्तर पर न केवल रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है बल्कि इससे क्षेत्र का तेजी से विकास भी हो रहा है। इसका फायदा राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति पर पड़ती है। यह स्थानी उत्पादों के लिए बाजार का भी काम करता है। यदि यह नीति जारी रही तो देश में पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था फलती-फूलती दिखेगी।

Also Read : संपादक की कलम से: रेल हादसों से सबक कब?

Get real time updates directly on you device, subscribe now.