संपादक की कलम से: सौर मिशन के मायने

Sandesh Wahak Digital Desk : भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग सफल रही। यह सूर्य का अध्ययन करेगा और संबंधित जानकारियां भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को उपलब्ध कराएगा। चांद के दक्षिणी धु्रव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराने के कुछ दिन बाद ही इसरो ने सूर्य पर यह मिशन भेज कर एक और इतिहास रचा है।

सवाल यह है कि :-

  1. अंतरिक्ष में इसरो की एक और ऊंची छलांग का देश और दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?
  2. सूर्य के अध्ययन और इसके प्राप्त निष्कर्षों का अंतरिक्ष विज्ञान और दैनिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
  3. क्या सफल अभियानों से दुनिया के अंतरिक्ष बाजार में भारत का दबदबा बढ़ेगा?
  4. क्या छोटे और अविकसित देशों को भारत के सूर्य मिशन से कोई फायदा मिलेगा?
  5. क्या इसरो का यह प्रयोग मानव जाति का भला करने में कामयाब होगी?
  6. क्या इससे अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति भावी पीढ़ियों के नजरिए पर सकारात्मक असर पड़ेगा?

आदित्य एल-1 इसरो का महत्वाकांक्षी सौर मिशन है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंजियन बिंदु एल-1 पर भेजा गया है। यहां तक पहुंचने में यान को करीब 125 दिन लगेंगे। हालांकि पृथ्वी से सूर्य की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। जाहिर है आदित्य एल-1 पृथ्वी से सूर्य की दूरी का महज एक बटे सौवां भाग है।

बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा सौर मिशन

गौरतलब है कि सूर्य का तापमान इतना अधिक है कि उसके करीब तक किसी उपग्रह का जाना फिलहाल नामुमकिन है। बावजूद इसके सौर मिशन भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इसरो के मुताबिक यह सूर्य का ऐसे स्थान से अध्ययन कर सकेगा जहां मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके जरिए मौसम में होने वाले बदलावों की जानकारी मिल सकेगी। साथ ही पृथ्वी पर आ रही सौर हवा का अध्ययन और इसके प्रभाव की समीक्षा की जा सकेगी।

इससे निकट भविष्य में हम सूर्य में होने वाले बदलाव की जानकारी भी हासिल कर सकेंगे। इसके अलावा इसरो के इस मिशन की सफलता से अंतरिक्ष बाजार में भारत की धाक भी जम जाएगी। इसका असर यह होगा कि छोटे और अविकसित देश भी अपने उपग्रहों को भारत के जरिए अंतरिक्ष में भेजने का वाणिज्यिक समझौता कर सकेंगे। इसके एवज में वे डॉलर उपलब्ध कराएंगे।

इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। साथ ही इसरो भी अनुसंधान के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग बिना किसी आर्थिक अड़चन के कर सकेगा। इसके अतिरिक्त इसरो की उपलब्धियों का असर भारत की भावी पीढिय़ों पर पड़ेगा। यह लोगों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रूचि में इजाफा करेगा और इसका परिणाम यह होगा कि इस क्षेत्र में युवा प्रतिभाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगी। कुल मिलाकर इस वर्ष इसरो ने दो ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की है और इसका मानव जाति पर निश्चित रूप से वृहद प्रभाव पड़ेगा।

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