गोंडा लोकसभा सीट : सपा प्रत्याशी श्रेया वर्मा से राजा भैया को मिल रही सीधी चुनौती

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: साल 1998 में गोंडा लोकसभा सीट पर बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह को पराजित कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाले मनकापुर राजघराने के कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया ने 2004, 2014 और 2019 के चुनाव में भी फतह हासिल कर अपनी लोकप्रियता और रसूख का न सिर्फ लोहा मनवाया, बल्कि जिले की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले अपने पिता पूर्व सांसद राजा आनंद सिंह की विरासत को सियासी फलक पर पहुंचाकर अपनी अलग पहचान बनाई।

हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया टिकट दिया है। मगर उनके लिए चुनाव की यह डगर बहुत आसान नहीं है। सच कहा जाए तो मुस्लिम-यादव वोटों के साथ ही सजातीय कुर्मी मतों के भरोसे रण में उतरीं दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा ने चुनावी समीकरण को बदल दिया है।

कीर्तिवर्धन सिंह

एक समय था जब कुंवर आनंद सिंह उर्फ अन्नू भैया की जिले की राजनीति में तूती बोलती थी। गोंडा लोकसभा सीट पर एकछत्र राज करने वाले राजा आनंद सिंह ने पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद वर्ष 1998 में अपने इकलौते बेटे कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया को राजनीति की रपटीली राह पर उतार दिया। राजा भैया साल 1998 में गोंडा लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और बीजेपी कैंडिडेट बृजभूषण शरण सिंह को पटखनी देकर संसद में पहुंचे।

 

राजा भैया ने भाजपा प्रत्याशी रहे घनश्याम शुक्ला को हराया था

हालांकि एक साल बाद 1999 में हुए चुनाव में वह बृजभूषण शरण सिंह से हार गए थे, लेकिन वर्ष 2004 में पुन: सपा के टिकट पर चुनाव लडक़र उन्होंने यह सीट भाजपा से छीन ली। राजा भैया ने भाजपा प्रत्याशी रहे घनश्याम शुक्ला को 36,998 वोटों से पराजित किया। वर्ष 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बेनी प्रसाद वर्मा ने राजा भैया को 23,675 मतों से हरा दिया था। वर्ष 2014 में राजा भैया ने साइकिल की सवारी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। बीजेपी के टिकट पर चुनाव लडक़र उन्होंने सपा की नंदिता शुक्ला को 1,60,416 मतों के भारी अंतर से हराया।

इसके बाद साल 2019 में हुए चुनाव में भी कीर्तिवर्धन सिंह ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर शानदार जीत हासिल कर गोंडा लोकसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। अब लगातार तीसरी बार भाजपा ने मौजूदा सांसद राजा भैया पर भरोसा जताते हुए उन्हें गोंडा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। दरअसल, राजा भैया की साफ-सुथरी छवि न सिर्फ उनकी दावेदारी को मजबूती प्रदान करती है, बल्कि आम आदमी से सीधे जुड़ाव और सरलता उनकी लोकप्रियता को फलक पर पहुंचाती है। राजा भैया जन-विश्वास और उनके भरोसे को ही अपनी पूंजी मानते हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी पर भी पूरा भरोसा है।

अखिलेश यादव और श्रेया वर्मा

यही वजह है कि अपनी जीत को लेकर वे पूरी तरह आश्वस्त हैं। वह कहते हैं कि इस बार गोंडा लोकसभा क्षेत्र की जनता हैट्रिक लगाने जा रही है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने भी राजा भैया के हैट्रिक को रोकने के लिए चुनावी बिसात पर तुरूप का इक्का चला है। सपा ने वर्ष 2009 में कांग्रेस के टिकट पर गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले दिग्गज समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा को मैदान में उतारकर मुश्किलें खड़ी कर दी है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी द्वारा अभी तक प्रत्याशी न उतारे जाने से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी लड़ाई होती दिखाई दे रही है।

कुर्मी वोटरों पर सपा की नजर

सपा कैंडिडेट श्रेया वर्मा अपने दादा बाबूजी (स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा) के अधूरे कामों और उनके सपनों को पूरा करने का दावा कर रही हैं। इसके साथ ही वह विकास का भी मुद्दा पूरी दमदारी से उठा रही हैं। श्रेया वर्मा सीधे जनता के बीच जाकर सवाल करते हुए कहती हैं कि हैं जिस सांसद से फोन पर बात न पाती हो, जिस सांसद से मुलाकात न हो पाती हो, जिस सांसद से जनता का भला न होता हो, ऐसा सांसद चुनने से क्या फायदा?

दरअसल, समाजवादी पार्टी की नजर लोकसभा क्षेत्र में अपने वोट बैंक के साथ ही कुर्मी वोटरों पर भी है। श्रेया वर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे पार्टी की मंशा जगजाहिर है। बताते हैं कि गोंडा लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण लगभग 22 प्रतिशत, क्षत्रिय करीब 4 प्रतिशत, कुर्मी 14 प्रतिशत, यादव 8 प्रतिशत, दलित 21 प्रतिशत, मुस्लिम 24 फीसदी के साथ ही 7 प्रतिशत अन्य हैं।

सपा यह मानकर चल रही है कि 24 फीसदी मुस्लिम, 8 फीसदी यादव और 14 प्रतिशत कुर्मी वोटरों के सहारे नैया पार हो जाएगी। हालांकि, यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना तो तय है कि सपा प्रत्याशी श्रेया वर्मा ने बीजेपी के राजा भैया के हैट्रिक लगाने की डगर को मुश्किल कर दिया है। यहां भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है।

पांचों विधानसभा सीटों पर है बीजेपी का कब्जा

गोंडा लोकसभा क्षेत्र में सदर सीट के अलावा मनकापुर सुरक्षित, मेहनौन, गौरा तथा बलरामपुर जिले की उतरौला विधानसभा सीटें आती हैं। इन सभी पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इनमें बृजभूषण शरण सिंह के पुत्र प्रतीक भूषण सिंह गोंडा सदर से विधायक हैं। इनके अलावा मनकापुर से पूर्व मंत्री रमापति शास्त्री, मेहनौन से विनय कुमार द्विवेदी, गौरा से प्रभात कुमार वर्मा और उतरौला से राम प्रताप वर्मा विधायक हैं।

घनश्याम शुक्ला

एक दबाओ, तीन गिराओ के नारे ने बेनी को बना दिया था सांसद

साल 2004 का लोकसभा चुनाव गोंडा की राजनीति का पहला ऐसा चुनाव था, जिसके नतीजों ने जिले में ब्राह्मण-ठाकुरों के वर्चस्व को नया रूप दे दिया। दरअसल, बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम शुक्ला की मतदान खत्म होने की शाम संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। चुनावी नतीजों में कीर्तिवर्धन सिंह फिर जीतकर सांसद बने, लेकिन गोंडा की राजनीति बदल चुकी थी।

2009 में बेनी प्रसाद वर्मा कांग्रेस की तरफ से यहां लोकसभा चुनाव लड़ने आए। उनके अलावा बसपा से कीर्तिवर्धन सिंह, भाजपा से रामप्रताप सिंह और सपा से विनोद कुमार सिंह उर्फ पंड़ित सिंह चुनावी रण में थे। तब बेनी बाबू ने चुनाव में नारा दिया था एक दबाओ, तीन गिराओ। बेनी को इसका फायदा भी मिला और ब्राह्मण वोटों की बदौलत वह कांग्रेस का झंडा बुलंद करने में कामयाब रहे।

1971 में राजघराने ने लोकसभा चुनाव में दी थी दस्तक

साल 1971 में पहली बार मनकापुर रियासत ने लोकसभा चुनाव में अपनी दस्तक दी। कांग्रेस ने मनकापुर के कुंवर आनंद सिंह को टिकट दिया। आनंद सिंह जीतकर सांसद बन गए। वर्ष 1977 की जनता लहर को छोडक़र वह 1980, 1984 और 1989 में भी कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए।

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