Gonda News: आईजीआरएस रिपोर्टिंग में फर्जीवाड़ा, आवेदकों का काम बिगाड़ा!
गोण्डा में जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराई गई शिकायतों का किया जा रहा फर्जी निस्तारण

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: गोंडा जिले में सरकार द्वारा समस्याओं का समाधान न होने और सरकारी विभागों के दफ्तरों के चक्कर लगाने में असमर्थ रहने वाले आमजन के लिए जनसुनवाई पोर्टल की शुरूआत की गयी। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा थी कि डिजिटल युग में लोग घर बैठे अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर के जरिए अपनी शिकायत उच्चाधिकारियों तक पहुंचा सकेंगे।
इस पोर्टल पर प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण की भी गाइडलाइन जारी की गयी, लेकिन यहां जनसुनवाई पोर्टल पर मिलने वाली शिकायतों पर रिपोर्टिंग में भी खेला किया जाने लगा। जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा रिपोर्टिंग में फर्जीवाड़ा करने से जहां सीएम योगी की मंशा पर पानी फिर रहा है, वहीं आवेदकों का काम बनने के बजाय बिगड़ रहा है।

जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराई गई शिकायतों का किया जा रहा फर्जी निस्तारण
जनसुनवाई पोर्टल अर्थात एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली की शिकायतों को गंभीरता से न लेने तथा निपटारे में घोर लापरवाही बरतने की शिकायतें मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील व गोण्डा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा को लगातार मिल रही थीं। इस पर दोनों अफसरों ने सख्त रूख अख्तियार किया है।
आरजीआरएस की समीक्षा के दौरान आयुक्त को अधीक्षण अभियंता जल निगम ग्रामीण के आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त होने वाले संदर्भों के निस्तारण में से 72 प्रतिशत फीडबैक असंतुष्ट मिले। एक अप्रैल से 30 अप्रैल के मध्य अधीक्षण अभियंता जल निगम द्वारा कुल 33 संदर्भों का निस्तारण किया गया था। जब सभी निस्तारण का फीडबैक लिया गया तो 33 में से 24 फीडबैक असंतुष्ट मिले, जिस कारण मंडल को दी जाने वाली रैंकिंग प्रभावित हुई। इसको लेकर आयुक्त ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अधीक्षण अभियंता को प्रतिकूल प्रविष्टि दी है।
वहीं दूसरी तरफ अधीक्षण अभियंता सिंचाई एवं जल संसाधन, अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, मुख्य अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम नगरीय, संयुक्त शिक्षा निदेशक व्यावसायिक शिक्षा व उप आबकारी आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयुक्त द्वारा कई बार समीक्षा बैठक करने के बावजूद मण्डल स्तरीय फीडबैक में सुधार नहीं हुआ। इस पर उनके द्वारा अधिकारियों के पोर्टल पर प्राप्त संदर्भों के निस्तारण के लिए अग्रिम आदेशों तक नयी व्यवस्था लागू की गई है।
स्पेशल क्लोज पर आयुक्त ने लगाई नकेल
इस व्यवस्था के तहत सभी मण्डल स्तरीय अधिकारी अपने पोर्टल पर प्राप्त संदर्भों का निस्तारण करने से पहले आख्या आयुक्त कार्यालय को वाट्सएप ग्रुप IGRS Devipatan के माध्यम से प्रेषित करेंगे तथा आयुक्त कार्यालय स्तर से आख्या के परीक्षण में संतोषजनक पाये जाने के पश्चात सहमति मिलने पर ही निस्तारण आख्या अपलोड की जाएगी। प्राप्त संदर्भों की निस्तारण आख्या निर्धारित समय से 03 दिवस पहले प्रस्तुत की जाएगी, ताकि आख्या संतोषजनक न होने पर ससमय पुनः आख्या प्राप्त करने का पर्याप्त समय बचा रहे।
यदि इसके पश्चात किसी मण्डलीय अधिकारी द्वारा प्राप्त संदर्भ का स्वयं के स्तर से आख्या अपलोड/निस्तारण किया जाता है तो संदर्भ के असंतुष्ट होने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी। प्राप्त संदर्भों के सापेक्ष स्पेशल क्लोज के संदर्भों की आख्या भी प्रेषित की जायेगी कि संदर्भ को क्यों स्पेशल क्लोज किया जा रहा है? आख्या में इसका स्पष्ट उल्लेख होगा। माह के अंतिम सप्ताह के शुक्रवार को निस्तारण के सम्बन्ध में प्रत्येक माह समीक्षा बैठक आयुक्त कार्यालय से की जाएगी।
फर्जी रिपोर्टिंग पर डीएम नेहा शर्मा का बड़ा एक्शन
जिले के पंडरी कृपाल ब्लॉक के ग्राम पंडरी बल्लभ के रामजनम, नंदलाल, सरजू प्रसाद व अन्य ने ऐतिहासिक स्वामी नारायण मंदिर द्वारा निर्मित पक्के पोखरे की मरम्मत व सुंदरीकरण को लेकर आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की थी। इसके निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारी ने न तो शिकायत का गहन परीक्षण किया और न ही आवेदकों से संवाद स्थापित कर उनकी वास्तविक मांग को समझने की कोशिश की।
इसके विपरीत निस्तारण आख्या में आवास योजना के अंतर्गत अपात्रता का उल्लेख कर शिकायत को विषय से भटका दिया। मामला संज्ञान में आने पर डीएम नेहा शर्मा ने बीडीओ पंडरी कृपाल ओम प्रकाश सिंह को परिनिंदा देते हुए सख्त चेतावनी जारी कर दी। इतना ही नहीं, डीएम ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया और प्रकरण की बिंदुवार समीक्षा की तथा स्पष्ट शब्दों में संबंधित अधिकारी की कार्यशैली को आपत्तिजनक करार दिया।

क्या कहते हैं अधिवक्ता शादाब अहमद खान?
आरटीआई एक्टिविस्ट शादाब अहमद खान एडवोकेट कहते हैं कि प्रदेश में आए दिन आईजीआरएस के माध्यम से प्राप्त शिकायतों पर समय-सीमा के अंदर समुचित कार्रवाई करते हुए उचित आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाता है, जिसके क्रम में गोण्डा जिले की जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा भी सख्त हिदायत दिया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद जनपद के सभी विभाग फर्जी तरीके से रिपोर्ट लगातार निस्तारण कर देते हैं।
खासकर राजस्व विभाग में यह फर्जीवाड़ा बड़े पैमाने पर चल रहा है। लेखपाल व राजस्व निरीक्षक से लेकर अन्य अधिकारी-कर्मचारी तक आईजीआरएस पर मिली शिकायतों का फर्जी निस्तारण कर रहे हैं, जो न सिर्फ योगी सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है बल्कि आवेदकों का काम भी बिगाड़ रहा है। शादाब खान का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी यह भूल चुके हैं कि वे जनता जनार्दन के सेवक हैं। जनता ही इनको तनख्वाह देती है। बदले में इनसे काम की उम्मीद करती है, लेकिन गोण्डा में ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भरमार है, जो सही काम तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहते हैं। आखिर जनता जाए तो कहां जाए? गुहार लगाए तो किससे लगाए?
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