Gonda: 30 वर्षों से आतंक का पर्याय रहा पासी गैंग का सरगना ज्ञानचंद्र एनकाउंटर में ढेर

मंगलवार को सोनू पासी व बुधवार को ज्ञानचंद्र पासी मुठभेड़ में कर दिए गए ढेर

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: गोण्डा जिले के थाना परसपुर के ग्राम राजपुर के रहने वाले ज्ञानचंद्र पासी ने 1996 में जरायम की दुनिया में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसके खिलाफ 70 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए। वहीं दूसरी तरफ, करनैलगंज क्षेत्र के कादीपुर के रहने वाले सोनू पासी उर्फ भुर्रे ने वर्ष 2002 में चोरी की घटना को अंजाम देकर अपराध जगत में एंट्री की।

उसके खिलाफ 53 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें हत्या, चोरी, डकैती और लूट जैसी संगीन वारदातें शामिल हैं। ज्ञानचंद्र पासी देखते ही देखते गैंग का सरगना बन और गोण्डा समेत कई जिलों में आतंक का पर्याय बन गया था। बुधवार को एसटीएफ ने उसे बाराबंकी में हुए मुठभेड़ में ढेर कर दिया, जबकि उसका राइट हैंड सोनू पासी मंगलवार को गोण्डा में हुए मुठभेड़ में मार दिया गया।

1996 में रखा था जरायम की दुनिया में कदम, सोनू पासी था उसका राइट हैंड

करीब 13 साल पहले गोण्डा जिले के पूरे लाली गांव में लश्करी यादव की हत्या कर ज्ञानचंद्र पासी चर्चा में आया। इस घटना की गूंज विधानसभा तक हुई और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की नाराजगी के बाद पुलिस ने ज्ञानचंद्र के भाई ननकू को मार गिराया था। लंबे आपराधिक इतिहास के बावजूद उसकी पैठ तो रही ही, साथ ही वह पुलिस के हत्थे भी बहुत कम ही चढ़ा। हत्या के मामले में जेल भेजे जाने के बाद भी उसकी गतिविधियां जारी रहीं।

वर्ष 2020 में ज्ञानचंद्र ने जेल से ही फिरौती मांगी। अपराध जगत में ज्ञानचंद्र की तूती बोली और उसने पासी गैंग भी बना डाला। सोनू पासी उर्फ भुर्रे भी गैंग का हिस्सा और ज्ञानचंद्र का राइट हैंड बन गया। उसका कार्यक्षेत्र अधिकतर गोण्डा जिले का परसपुर इलाका ही रहा। इसके बाद तरबगंज, करनैलगंज, कोतवाली देहात, कटरा बाजार तथा बहराइच व बाराबंकी जिले में हत्या, लूट, डकैती और चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देता रहा। पासी गैंग के सरगना ज्ञानचंद्र की गोण्डा समेत कई जिलों में तूती बोलती थी और वह तथा उसका गैंग आतंक का पर्याय बन चुका था।

गोण्डा, बहराइच व बाराबंकी जिले में जघन्य वारदातों को अंजाम देता था गैंग

गत 24 अप्रैल को गोण्डा जिले के उमरीबेगमगंज थाना क्षेत्र में सोनू पासी के साथ हत्या की वारदात में शामिल होना ज्ञानचंद्र के लिए आत्मघाती कदम साबित हुआ। इस घटना में नाम सामने आने के बाद एडीजी गोरखपुर ने तीन अपराधियों सोनू पासी निवासी कादीपुर, थाना करनैलगंज, ज्ञानचंद्र पासी निवासी ग्राम राजापुर थाना परसपुर व रामसागर निवासी थाना उमरी बेगमगंज पर एक-एक लाख का ईनाम घोषित कर दिया।

इनमें सोनू पासी की तलाश पूरी कर एसओजी, उमरीबेगमगंज व खोड़ारे थाने की संयुक्त टीम ने 20 मई को उसे मार गिराया। इसके बाद एसटीएफ ने बेहद शातिर व पासी गैंग के सरगना ज्ञानचंद्र पासी की तलाश शुरू की, जिसके बुधवार को बाराबंकी जिले के रामनगर कोतवाली क्षेत्र के चौकाघाट रेलवे स्टेशन के निकट जंगल में होने की पक्की खबर मिली। इस पर टीम अलर्ट हो गयी और एसटीएफ ने मुठभेड़ के दौरान उसे ढेर कर दिया।

गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी पुलिस

एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही का कहना है कि सोनू पासी व ज्ञानचंद्र पासी के खात्मे के बाद अब गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश में की जा रही है। उन्होंने बताया कि कुख्यात अपराधी ज्ञानचंद्र पासी पर एक लाख रूपए का इनाम घोषित था। उसका साथी सोनू पासी भी एक लाख का इनामिया बदमाश था। इन दोनों की मौत के बाद पासी गैंग की कमर टूट गई है। गैंग के अन्य सदस्य भी पुलिस और एसटीएफ के रडार पर हैं।

सोनू पासी के 23 साल के आतंक का अंत

करनैलगंज के ग्राम कादीपुर के रहने वाले सोनू पासी उर्फ भुर्रे ने वर्ष 2002 में चोरी की पहली वारदात को अंजाम दिया था। तब उसके खिलाफ कटरा थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि अपराध की दुनिया से वह अब कभी बाहर नहीं निकल सकेगा। दरअसल, सोनू पासी ने अपराध को ही अपना पेशा बना लिया था। इसी साल उसके खिलाफ डकैती, एनडीपीएस और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद करनैलगंज थाने में जानलेवा हमला, डकैती, मादक पदार्थ व अवैध हथियार रखने जैसे कई मुकदमें दर्ज हुए।

बस्ती और बहराइच जिले में भी उसके खिलाफ डकैती करने का मामला दर्ज हुआ। 23 सालों में सोनू पासी आतंक का पर्याय बन गया था। बीते 24/25 अप्रैल को उसने अपने सहयोगियों के साथ उमरीबेगमगंज थाना क्षेत्र के धन्नीपुरवा गांव में डकैती की वारदात को अंजाम दिया था और इसी दौरान एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना को अंजाम देने में ज्ञानचंद्र भी शामिल रहा। तभी से दोनों को पुलिस और एसटीएफ सरगर्मी से तलाश रही थी।

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