काबिलियत या जुगाड़: पांच वर्षों से एक ही कुर्सी पर जमे कई आईएएस अफसर
शासन से लेकर विभागों तक अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे बड़े अफसरों पर सरकार का ध्यान नहीं

Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: प्रदेश में कई ऐसे आईएएस अफसर हैं। जो वर्षों से एक ही पद पर तैनात हैं। शासन स्तर पर भी तमाम आईएएस अफसरों के पास अहम विभागों के मुखिया के तौर पर बोझ कुछ ज्यादा ही है।

जबकि सामान्य सरकारी कर्मियों के लिए सरकार ने एक पटल पर सिर्फ तीन साल की तैनाती का नियम बना रखा है। आईएएस के लिए कोई नियम आज तक नहीं बनाया गया। यूपी हाउसिंग बोर्ड में अपर आवास आयुक्त एवं सचिव नीरज शुक्ला की तैनाती तीन सितंबर 2020 को हुई थी। तीन माह बाद आईएएस शुक्ला को इस पद पर पांच साल का लंबा अरसा पूरा हो जाएगा। फिर भी इनकी कुर्सी पर ठसक बरकरार है।
अगला नंबर दो जुलाई 2020 को सिंचाई विभाग में तैनाती पाने वाले आईएएस अनिल गर्ग का है। प्रमुख सचिव अनिल गर्ग इस विभाग में जल्द ही पांच वर्ष पूरे करके कीर्तिमान रचेंगे। हालांकि सरकार की नजर में आईएएस गर्ग गुडबुक्स में हैं। तभी कई जिम्मेदारियों के साथ कारागार विभाग के लिए भी इन्ही को उपयुक्त माना गया।

वहीं आईएएस अनुराग श्रीवास्तव भी 2019 से जहां नमामि गंगे की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दो जुलाई 2020 को इसी विभाग के प्रमुख सचिव भी बनने के बाद से जल्द ही पांच साल पूरे करेंगे। हालांकि नौकरशाही के एक धड़े के मुताबिक अनुराग के कन्धों पर जल जीवन मिशन जैसी बेहद अहम जिम्मेदारी है। इसलिए सीएम योगी आगे भी इसी जिम्मेदारी के साथ उन्हें बरकरार रखेंगे। 15 सितंबर 2020 से प्रमुख सचिव पर्यटन की जिम्मेदारी संभाले रहे मुकेश कुमार मेश्राम भी सीएम के पसंदीदा आईएएस होने के चलते पांच साल से इस पद पर कायम हैं।
भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगने के बावजूद ठसक बरकरार
प्रतिनियुक्ति पर यूपी आये आईएएस आंजनेय कुमार सिंह भी दो मार्च 2021 से मंडलायुक्त मुरादाबाद के पद पर बैठे हैं। एक ही पद पर तैनाती का पांचवां वर्ष शुरू होने के बावजूद इनकी कुर्सी फिलहाल टस से मस होने की कतई संभावना नहीं है। 28 अक्टूबर 2021 से आईएएस देवेंद्र पांडेय विशेष सचिव पशुपालन की तैनाती पर हैं। पांडेय ने उन्नाव डीएम रहते भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियां बटोरी थीं। इन्हे निलंबित भी किया गया। फिलहाल इसी अंदाज में पशुपालन में भी भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगने के बावजूद ठसक बरकरार है।
नियुक्ति विभाग और सीएम योगी आदित्यनाथ से देवेंद्र पांडेय के साथ विभागीय प्रमुख सचिव के रविंद्र नायक के भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतें हुई हैं। वहीं साफ छवि की आईएएस मनीषा त्रिघटिया को भी सरकार ने 25 जनवरी 2020 से आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद की तैनाती पर बिठा रखा है। यूपी में ऐसे तमाम उदाहरणों की फेहरिस्त लम्बी है।
विशेष सचिव तो मानो सजा का पद हो गया
कई आईएएस वर्षों से विशेष सचिव बनाकर साइड पोस्टिंग के जरिये मानो किनारे लगा दिए गए हैं। लंबा वक्त बीतने के बावजूद इनको अहम जिम्मेदारियां देने से परहेज रखा जा रहा है। पीसीएस से आईएएस बने अफसरों की फेहरिस्त इस सूची में ज्यादा है। वहीं कई ऐसे भी आईएएस हैं। जिन्हे लगातार यूपी में डीएम की कुर्सी नसीब हो रही है। दूसरी तरफ तमाम आईएएस डीएम बनने को वर्षों से तरस रहे हैं। इनमें प्रमोटी आईएएस की संख्या अधिक है।
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