Indian Revenue Service: सम्पत्तियों की शिकायतों के बाद IRS लॉबी ने ‘गायब’ कराया IPR

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के चंद अफसरों की आर्थिक हैसियत के आगे बड़े-बड़े धन्ना सेठ भी फेल हैं। इन अफसरों की सम्पत्तियां बाहर न आये, इसके लिए मानो पूरी आईआरएस बिरादरी ही संगठित हो चुकी है।
अखिल भारतीय सेवाओं के बाकी संवर्गों की तर्ज पर आईआरएस अफसरों का सम्पत्ति ब्यौरा (आईपीआर) पहले सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन वेबसाइट पर मौजूद था। चंद धनकुबेर आईआरएस के किस्से बाहर आता देख मनमाने तरीके से इसे हटवा दिया गया।
खेल की शुरुआत होती है केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के तहत आयकर विभाग में कार्यरत चंद आईआरएस पर दरियादिली दिखाने से। इसके बाद सीबीडीटी की राह पर चलते हुए सीबीआईसी के बोर्ड ने भी अपनी वेबसाइट पर मौजूद चेक आईपीआर के लिंक में तकनीकी खेल करके उसे न खुलने लायक बना दिया। जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
CBDI वेबसाइट से सबसे पहले हटायी गयी व्यवस्था
आईआरएस को आईपीआर पब्लिक डोमेन में डालने से इतना डर क्यों है, इसकी गहराई से पड़ताल करने पर कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी हैं। दरअसल पहले वेबसाइट के जरिये आयकर के सिर्फ आईआरएस अफसरों के अधिष्ठान से जुड़े सभी कार्य ऑनलाइन होते थे। यूपी में मानव सम्पदा पोर्टल की तर्ज पर विभाग के आयकर अधिकारी (आईटीओ) और ग्रुप सी के कर्मियों से जुड़े समस्त कार्य ऑनलाइन करने की कवायद शुरू होने के बाद सीबीडीटी बोर्ड ने अपग्रेड करके नई वेबसाइट (https://www.irsoffic-cersonline.gov.in/) बनवाई।

आईआरएस की सम्पत्तियों की शिकायत होने के बाद मचा हंगामा
बताते हैं कि लखनऊ में आयकर की इन्वेस्टिगेशन इकाई के दिग्गज आईआरएस की सम्पत्तियों की शिकायत होने के बाद हंगामा मच गया। कई और शहरों में भी सम्पत्तियों की शिकायतें हुईं। आयकर महकमें के कर्णधारों को अंदेशा था कि इसके पीछे कुछ साल पहले बर्खास्त आईआरएस एसके श्रीवास्तव और कुछ अन्य अफसरों का हाथ हो सकता है। सबसे ज्यादा धडक़ने एक ऐसे वरिष्ठ आईआरएस की बढ़ीं, जो बाद में बोर्ड में मेंबर भी बनाये गए।
कमिश्नर रैंक के अफसर रहे श्रीवास्तव को चिदंबरम और अफसरों से पंगा लेने के बाद सीबीआई के फेर में फंसने के कारण नौकरी गंवानी पड़ी थी। अकूत सम्पत्ति बनाने के आरोपी आईआरएस श्रीवास्तव के बैच के बताये जा रहे थे। जिसके बाद सीबीडीटी बोर्ड के इशारों पर नयी वेबसाइट से आईआरएस का आईपीआर देखने की व्यवस्था ही खत्म कर दी गयी। मतलब न बजेगा बांस, न बजेगी बांसुरी।
अमित निगम पर कसा शिकंजा
अमित कुमार सिंघल के बाद सीबीआई ने एक और महाभ्रष्ट आईआरएस रहे अमित निगम पर शिकंजा कसा है। लखनऊ के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर (आयकर) अमित निगम के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में 7,52,61,831 रुपए की 14 सम्पत्तियों को गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के स्पेशल जज (एंटी करप्शन) ने अटैच (जब्त) करने का आदेश जारी किया है।
सीबीआई ने यह मामला 22 सितंबर 2022 को दर्ज किया था। 2008 से 2018 के बीच दिल्ली, मुरादाबाद, लखनऊ समेत अन्य जगहों पर तैनात रहकर पत्नी समेत परिजनों के नाम काली कमाई से अकूत सम्पत्तियां निगम द्वारा अर्जित की गयी थीं। उक्त संपत्तियां गाजियाबाद, लखनऊ, हरदोई, बाराबंकी और गोवा में स्थित हैं।
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