नीति आयोग ने दी जानकारी, आपराधिक प्रावधानों को कम करने पर फोकस

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत के कर सुधार (Tax Reforms) अब एक निर्णायक चरण में पहुँच गए हैं, जहाँ सरकार का मुख्य फोकस सरलीकरण, आधुनिकीकरण और कर प्रशासन में विश्वास को एकीकृत करने पर है। यह महत्वपूर्ण जानकारी शुक्रवार को नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने दी।

सुब्रह्मण्यम ने स्पष्ट किया कि जैसे-जैसे भारत प्रवर्तन-संचालित अनुपालन से हटकर विश्वास-आधारित शासन की ओर बढ़ रहा है, हमें आनुपातिक, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवर्तन सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो राजकोषीय अखंडता की रक्षा करते हुए करदाताओं को सशक्त बनाए।

आपराधिक प्रावधानों को कम करने का प्रस्ताव

नीति आयोग ने शुक्रवार को अपनी नीति टैक्स पॉलिसी वर्किंग पेपर सीरीज-II के तहत दूसरा वर्किंग पेपर जारी किया, जिसका शीर्षक है, भारत के कर परिवर्तन की ओर: गैर-अपराधीकरण और विश्वास-आधारित शासन।

इस वर्किंग-पेपर में आयकर अधिनियम, 2025 के अंतर्गत मौजूद आपराधिक प्रावधानों का व्यापक मूल्यांकन किया गया है। इसमें दंड को तर्कसंगत बनाने, छोटे और प्रक्रियागत गैर-अनुपालनों को अपराधमुक्त करने (Decriminalization) और न्यायिक विवेकाधिकार को मज़बूत करने के लिए सिद्धांत-आधारित ढाँचे का प्रस्ताव किया गया है।

वर्किंग-पेपर में बताया गया कि 2025 अधिनियम में कई पुराने अपराधों को खत्म किया गया है, लेकिन फिर भी 13 प्रावधानों में 35 कार्यों और गलतियों को आपराधिक श्रेणी में रखा गया है, जिनमें से अधिकांश में अनिवार्य कारावास का प्रावधान है। बीवीआर सुब्रह्मण्यम के अनुसार, ऐसे सुधारों से मुकदमेबाजी कम होगी, निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और यह वैश्विक (Global) सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप एक निष्पक्ष और पूर्वानुमानित कर व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और मज़बूत करेगा।

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