फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार घोषित, तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों को मिला सम्मान
Sandesh Wahak Digital Desk: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान नोबेल पुरस्कारों के तहत आज फिजिक्स (भौतिकी) के विजेताओं के नाम का ऐलान कर दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने घोषणा की कि इस साल का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों जॉन क्लार्क, माइकल डेवोरेट, और जॉन मार्टिनिस को दिया जा रहा है।
इन वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व प्रयोगों के लिए दिया गया है, जो क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम सेंसर जैसी भविष्य की तकनीकों को समझने और विकसित करने में मदद करेंगे।
क्या है वैज्ञानिकों की ख़ास खोज
इन नोबेल विजेताओं ने एक इलेक्ट्रिकल सर्किट का उपयोग करते हुए यह दिखाया कि क्वांटम यांत्रिकी के प्रभाव को एक सामान्य सर्किट में भी देखा जा सकता है। उन्होंने एक ऐसी प्रणाली में क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और क्वांटाइज्ड एनर्जी लेवल (ऊर्जा के निर्धारित स्तर) दोनों का प्रदर्शन किया, जिसे हाथ में पकड़ा जा सकता है।
आमतौर पर क्वांटम यांत्रिकी के नियम सिर्फ इलेक्ट्रॉन जैसे बेहद छोटे कणों पर लागू होते हैं, लेकिन इन वैज्ञानिकों ने पहली बार बिजली के सर्किट में बड़े पैमाने (मैक्रोस्कोपिक) पर इन क्वांटम प्रभावों की खोज की है। यह खोज क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम तकनीक के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
भारतीय वैज्ञानिकों का नोबेल इतिहास
फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक सर सीवी रमन थे, जिन्हें 1930 में उनके रमन इफेक्ट की खोज के लिए यह सम्मान मिला था। उनकी खोज आज भी लेजर और मेडिकल तकनीकों में उपयोग की जाती है। वहीं, दूसरे भारतीय मूल के वैज्ञानिक सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर थे, जिन्हें 1983 में तारों (स्टार्स) के जीवन और मृत्यु की खोज के लिए सम्मानित किया गया था। उन्होंने बताया था कि बड़े तारे अंततः ब्लैक होल बन सकते हैं।
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