पीडीए पर सवाल: अखिलेश के सामने बुजुर्ग मुस्लिम विधायक से बेअदबी

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: पूर्वांचल का आजमगढ़ मिशन 2027 के वास्ते सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए राजनीति का नया केंद्र है। जिसकी झलक गुरुवार को नए आशियाने और पार्टी दफ्तर के भव्य उद्घाटन के रूप में नजर भी आई। इस दौरान मंच पर कुछ ऐसा वाक्या घटित हुआ, जिसने उस आजमगढ़ को शर्मसार कर दिया।
मुस्लिम समाज में तीखा आक्रोश
जिसके भरोसे अखिलेश पूर्वांचल के रास्ते यूपी में सत्ता का परचम लहराना चाहते हैं। मुद्दा निजामाबाद से पांच बार के सपा विधायक 93 वर्षीय आलम बदी से जुड़ा है। जिनको न सिर्फ यूपी की सियासत में गांधी वादी विधायक का खिताब हासिल है बल्कि उनकी ईमानदारी के कायल हर पार्टी में हैं। जिस गांधी वादी बुजुर्ग सियासी शख्सियत के वास्ते दिवंगत धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव तक अपनी कुर्सी छोड़ देते थे। उसी आलम बदी को मंच से मानो धक्का देकर पीछे धकेल दिया गया। वो भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने। इस प्रकरण से जुड़ा वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, खासतौर से उस मुस्लिम बिरादरी में खासा आक्रोश फैल गया। जिसने यूपी की सियासत में सपा को दशकों से हमेशा पलकों पर बिठा रखा है।
मंच पर हुई धक्कामुक्की
पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) के हितों के लिए संघर्षरत अखिलेश के सामने आजमगढ़ में अपनी ही पार्टी के बुजुर्ग मुस्लिम विधायक का ऐसा तिरस्कार क्यों हुआ। इसका जवाब शायद उनका भरोसेमंद परम्परागत मुस्लिम वोटबैंक भी मांग रहा है। सपा के नए दफ्तर के उद्घाटन के मौके पर सजे मंच पर आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव और विधायक संग्राम यादव समेत कई नेता मौजूद थे। पार्टी अध्यक्ष के सम्मान के खातिर उन्हें माला पहनाने की तैयारियों के बीच पीछे से बुजुर्ग सपा विधायक आलम बदी भी अखिलेश यादव के नजदीक जाने के खातिर तस्वीर के फ्रेम में आगे आने का प्रयास करते हैं।
धर्मेंद्र यादव ने रोका आलम बदी का रास्ता
तभी सपा सांसद धर्मेंद्र यादव उनका रास्ता रोककर एक नेता को अखिलेश के बगल में खड़े होने के लिए रास्ता देते हैं। धर्मेंद्र सपा विधायक आलम बदी को हाथ से रोकते हुए उनसे कुछ बात करते हैं। इसी दौरान अखिलेश की नजर भी बुजुर्ग विधायक आलम बदी से मुखातिब होती है। वे उनसे सम्भवत: कुछ बात करते हैं। इसके बाद सपा के पांच बार के बुजुर्ग विधायक को धीरे-धीरे पीछे कर दिया जाता है।
अखिलेश के साथ वो सपा विधायक संग्राम यादव भी मंच पर शान से खड़े थे। जिनके पिता पूर्व मंत्री बलराम यादव को अखिलेश ने खुद सपा सरकार रहते मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया था। जिन मुस्लिमों के वोटबैंक के खातिर अखिलेश और उनकी पार्टी को यूपी में सत्ता नसीब होती आयी है। उन्ही मुस्लिम नेताओं को सपा अध्यक्ष ने हाथ पकडक़र बगल में खड़ा करने की पहल करके सम्मान देना मुनासिब नहीं समझा।
पीडीए के जरिए बजा मिशन 2027 का सियासी बिगुल
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का ऐसा अंदाज उसी आजमगढ़ में नजर आया, जहां से गुरुवार को पहले दिन मानो मिशन 2027 का सियासी बिगुल पार्टी ने पीडीए के जरिये बजाया है। यही नहीं आजमगढ़ की दूसरी दिग्गज सियासी शख्सियत गुड्डू जमाली और सपा विधायक नफीस अहमद भी मंच पर जगह बनाने की जगह पीछे खड़े दिखे। फिलहाल सोशल मीडिया पर सपा की फजीहत इस वीडियो के जरिये खूब हो रही है। हाल ही में सपा के संस्थापक सदस्य व सीतापुर जेल में बंद आजम खान की अनदेखी करने के गंभीर आरोप भी अखिलेश यादव पर लगे थे।
सिर्फ गांधीवादी व ईमानदारी है आजमगढ़ में निजामाबाद से सपा के पांच बार के विधायक आलम बदी की पहचान
उम्र करीब 93 साल, मामूली कुर्ता पायजामा, पैरों में हवाई चप्पल, कान में मशीन, हाथ में साधारण मोबाइल, आजमगढ़ के निज़ामाबाद से पांच बार के विधायक आलम बदी की ऐसी ही गांधीवादी शख्सियत है। चुनावी मौसम में पार्टी का झंडा की जगह घर पर भारत का झंडा जरूर दिखता है। सेकेण्ड हैण्ड बोलेरो जरूर है। सफर टैम्पो से करना पसंद है।
विधानसभा सत्र के दौरान लखनऊ जाने के लिए अक्सर यूपी रोडवेज की बस में देखा गया है। बदी साहब मैकेनिकल इंजीनियर हैं, शुरुआत में नौकरी की। नेहरू, बोस, गांधी से प्रेरणा लेकर समाजसेवा में आ गए। 1996 में पहली बार सपा से चुनाव जीते। मंत्री पद ठुकरा दिया। भाजपा विधायक कृष्णानद राय की जिस दिन हत्या हुई। उसी दिन बीच चौराहे इसे गलत करार देते हुए माफियाओं का विरोध तक किया।
गैंगस्टर को इतना सम्मान देने पर उठे थे सवाल
कुछ दिन पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ में गैंगस्टर रशीद के छोटे भाई शादिक के रिसेप्शन में शामिल हुए थे। हाजी अब्दुल कलाम भी सपा के सदस्य हैं। हाजी के चार बेटों में मोहम्मद रशीद और मोहम्मद फहद सऊदी में रहते हैं। रशीद और फहद पर साल 2022 में गैंगस्टर लगा है।
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