आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त: मुख्य सचिवों को कोर्ट में होना ही होगा पेश
Sandesh Wahak Digital Desk: आवारा कुत्तों के मामले (Stray Dogs Matter) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र और राज्यों को फटकार लगाते हुए साफ कहा है कि अब मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश होना ही होगा। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिवों को कोर्ट में उपस्थित होने से छूट देने का अनुरोध किया था।
‘मुख्य सचिवों को फिजिकली पेश होना होगा’
यहां जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि न्यायालय के आदेशों की लगातार अनदेखी की जा रही है, इसलिए अब किसी को भी राहत नहीं दी जाएगी। कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय को ऐसे मुद्दों पर समय बर्बाद करना पड़ रहा है, जिनका समाधान नगर निगमों और राज्य सरकारों को वर्षों पहले ही कर लेना चाहिए था। संसद नियम बनाती है, पर कोई कार्रवाई नहीं होती। कोर्ट ने कहा कि बार-बार अनुपालन हलफनामा (compliance affidavit) दाखिल करने का आदेश देने के बावजूद कई राज्यों ने अब तक इसका पालन नहीं किया है। उन्हें आने दीजिए, हम उनसे निपटेंगे। उन्हें स्वयं आकर बताना होगा कि अनुपालन हलफनामे क्यों दाखिल नहीं किए गए।
27 अक्टूबर को सभी राज्यों को किया था तलब
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से अनुरोध किया कि मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी जाए, क्योंकि सभी राज्यों ने अनुपालन हलफनामे दाखिल कर दिए हैं। लेकिन कोर्ट ने यह दलील मानने से इनकार करते हुए कहा कि रिपोर्ट आने के बावजूद व्यक्तिगत जवाबदेही जरूरी है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 27 अक्टूबर को आदेश दिया था कि सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पशु जन्म नियंत्रण नियमों (Animal Birth Control Rules) के तहत उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करें। लेकिन अब तक केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने अनुपालन रिपोर्ट सौंपी थी।
बाकी सभी डिफॉल्टिंग राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को अदालत ने अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है, ताकि वे बता सकें कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।

