UP Politics : कम अंतर से जीत वाली सीटों के लिए भाजपा ने बनाई अलग रणनीति

प्रमुख विपक्षी दलों सपा और बसपा के बीच गठबंधन न होने से उपजे समीकरणों का लाभ लेगी भाजपा

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी में मिशन 80 के मद्देनजर भाजपा की तैयारियां बाकी सियासी दलों से कहीं आगे हैं। रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लखनऊ में सोनेलाल पटेल की जयंती पर कार्यक्रम करके चुनावी रणनीति को और धार दे दी। भाजपा फिलहाल यूपी में न सिर्फ उन लोकसभा सीटों के लिए खासी मशक्कत कर रही है, जहां वो हारी थी या ऐसी सीटें जहां जीत और हार का अंतर बेहद मामूली था। भाजपा ने सपा और बसपा के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सियासी समझौता न होने के समीकरणों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी है।

2014 और फिर उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत में यूपी का अहम रोल रहा। पिछले चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन के बावजूद भाजपा ने देश के सबसे बड़े राज्य में शानदार प्रदर्शन किया। 2024 के चुनाव को ध्यान में रखकर 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य के लिए भाजपा ने खास रणनीति तैयार की है। 2019 के चुनाव में हारी हुई 16 लोकसभा सीटों पर भी जीत हासिल करने की रणनीति पर पार्टी काम कर रही है।

दस सीटों पर भाजपा का विशेष फोकस

पिछले चुनाव में भाजपा को 62 और उसके सहयोगी को 2 सीटें मिली थी। इसके साथ ही पार्टी ने उन दस सीटों पर भी खास फोकस किया है जहां भाजपा कम अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी। जिन दस सीटों पर पार्टी ने ध्यान केंद्रित किया है उसमें चार लोकसभा सीटें मछलीशहर, श्रावस्ती, मेरठ और मुजफ्फरनगर शामिल हैं। इन सीटों पर जीत हार का अंतर काफी कम था। पिछले चुनाव में मछलीशहर सीट से भाजपा उम्मीदवार भोला नाथ ने बसपा उम्मीदवार त्रिभुवन राम को 181 वोटों के बेहद कम अंतर से हराकर जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी। भोलानाथ को 4,88397 वोट मिले तो बसपा उम्मीदवार ने 4,88216 वोट हासिल किए।

2014 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा के टिकट पर रामचरित्र निषाद ने जीत हासिल की थी। 2014 में भोलानाथ, जो तब बसपा के साथ थे, भाजपा के राम चरित्र निषाद से 1.72 लाख वोटों के अंतर से सीट हार गए थे। यही हाल राजेंद्र अग्रवाल (मेरठ), संजीव बलियान (मुजफ्फरनगर) और राम शिरोमणि (श्रावस्ती) जैसे भाजपा सांसदों का भी है जो क्रमश: 4729, 6526 और 5320 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल कर सके। इसी तरह, बदायूं, बांदा, धौरहरा, बाराबंकी, संतकबीरनगर, बस्ती और सुलतानपुर जैसी सीटों पर भी भारतीय जनता पार्टी के जीत का अतंर कम था।

प्रत्येक लोस क्षेत्र के लिए खास टीम का होगा गठन

विपक्ष एक ओर यूपी के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद सपा और बसपा के बीच गठबंधन टूटने से 2024 में अलग समीकरण होंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी अपेक्षाकृत कमजोर निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जुलाई से अपने संगठनात्मक कार्यों को बढ़ाने की योजना बना रही है। प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लिए एक खास टीम गठित की जाएगी।

विपक्षी दलों के बीच गठबंधन बनने की पुख्ता संभावना

यूपी में फिलहाल सपा और बसपा का गठबंधन नहीं है लेकिन विपक्षी दलों के बीच दूसरा गठबंधन बनेगा इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस-सपा और आरएलडी के बीच गठबंधन की चर्चा है। पटना में विपक्षी दलों की हुई बैठक में राहुल गांधी और अखिलेश यादव शामिल भी हुए। हालांकि इसको लेकर अभी कई सवाल हैं। सीटों को लेकर तालमेल होगा या नहीं या कोई नया गठबंधन बनेगा यह तस्वीर अगले कुछ महीने में साफ होगी। विपक्ष की इस रणनीति के बीच बीजेपी यूपी के मिशन 80 पर तेजी से जुट गई है।

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