‘हरीराम नाई’ की खोज में जुटे ‘खाऊ राम’

Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi: शहर को चमकाने वाले विभाग का हिसाब-किताब संभालने वाले एक साहब ऊर्फ  ‘खाऊ राम’ काफी तनाव में हैं। जबसे मैडम ने उनको हाई डोज दी है, नाचे-नाचे फिर रहे हैं। दवा का असर दिमाग तक चढ़ चुका है। दिमाग की नसें तडक़ने लगी हैं। रही सही कसर दिलजले निकाल रहे हैं, खबरनवीसों को पीछे लगा दिया है। जब देखो तब पूछ बैठते हैं, तो साहब कौन से बजट से दिखाओगे ‘सिनेमा’। सिनेमा का नाम सुनते ही साहब बिदक जाते हैं। मुंह बिचकाते हुए जैसे-तैसे पीछा छुड़ाकर धीरे से खिसक लेते हैं।

वैसे भी साहब आजकल टेंशन में हैं। बताओ, कड़ी सुरक्षा के बाद भी रोज कोई न कोई राज लीक हो जाता है, गुप्त कमरे की बातें अखबार में छप रहीं हैं। कोई ‘गुप्त कमरे’ का राज तो कोई ‘तिलस्मी बैग’ का रहस्य पढक़र मजे ले रहा है। साहब की हेकड़ी निकलती देख सबसे ज्यादा ठंडक चेलों के कलेजे को पड़ी है। अब तो चेले भी दबी जुबान में बोल देते हैं। बड़े तीरंदाज बने फिरते थे,जब देखो स्पष्टीकरण मांग लेते थे। अब खुद ही सफाई देते फिर रहे हैं।

वैसे साहब भी कम नहीं हैं, घाट-घाट का पानी पीकर यहां तक पहुंचे हैं। सो अपने बीच छुपे ‘हरीराम नाई’ की तलाश में जुट गए हैं। शक की सुई चेलों से लेकर विभाग के ‘खबरी बाबू’ तक घूम गई है। सभी को बुलाकर पूछ लिया, सुनो कौन है जो अंदर की बातें लीक कर रहा है। चेले भी कम नहीं है, सारा दोष लक्ष्मी साधना वाले ‘गुप्त कमरे’ की दीवारों पर मढ़ दिया। बोले, साहब दीवारों के भी कान होते हैं। मगर, साहब हैं कि शक की बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं। सो चेलों के पेच टाइट कर दिए हैं, साफ  कह दिया। जिस दिन हत्थे चढ़ गए, सीधे निलंबित करवा दूंगा। ये सुनकर चेले घबरा गए हैं, एक-दूसरे को ‘हरीराम नाई’ समझ कर शक की नजर से देखने लगे हैं।

ये सब देख दिलजले पूरी मौज में हैं। इसी खुशी में लक्ष्मी साधना के समय परिवर्तन की सूचना भी फिर लीक कर दी। मैडम फिर छापा न मार दें इस डर से साहब ने शाम तक सबको आसन लपेटने के लिए बोल दिया है। वहीं देर रात तक बैठे रहने की मजबूरी से आजिज चेले भी जल्दी घर जाने की खुशी में पूरे भक्तिभाव से लक्ष्मी साधना में लीन हैं। लीन क्यों न हो, आखिर ‘बाबा’ की जीरो टॉलरेंस नीति में पूरा सहयोग जो करना है।

साहब के मलाई सेवन में कोई बाधा न आए, इसलिए सरकारी खर्च पर सुरक्षा गार्ड भी तैनात हैं। जो पूरी मुस्तैदी से मलाई सेवन में विघ्न डालने वालों को यह कहकर बाहर ही रोक लेते हैं। अरे भइया कहां घुसे जा रहे हो, अंदर मीटिंग चल रही है। साहब व्यस्त हैं। बाद में आना, अभी टाइम लगेगा। ये तो कुछ नहीं अंदर साहब भी चौकन्ने रहते हैं, सो मैडम के डर से पर्दे से लेकर दरवाजे तक बंद कर लेते हैं। वैसे पूरे प्रदेश में मलाई सेवन का ऐसा मॉडल खोजे नहीं मिलेगा। ये जानकर दूसरे विभाग के बड़े-बड़े मलाईखोर भी हैरान हैं। कुछ तो इस अनोखे मॉडल को देखने के लिए लालायित भी हैं। बाकायदा साहब से अपॉइंटमेंट तक लेने को तैयार हैं।

दिलजले बताते हैं कि नवाबों की नगरी में साहब की लक्ष्मी साधना एक भइया जी के सहारे चल रही है। भइया जी हर महीने चमचमाती ऑडी गाड़ी से आते हैं। गुप्त कमरे में साहब से लक्ष्मी साधना का प्रसाद ग्रहण करते हैं, और एक हाथ से अपना सफाचट सिर सहलाते निकल जाते हैं। चेलों का कहना है कि ये सारा प्रसाद एक नेता जी के नाम पर भेजा जा रहा है। ठीक उसी प्रकार जैसे हर महीने उपभोक्ता मोबाइल रिचार्ज करते  हैं, ठीक वैसे ही साहब की कुर्सी भी रिचार्ज के सहारे चल रही है। खैर अब साहब जानें और उनके नेताजी। हमें क्या हम तो चुप ही रहेंगे।

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