एक ‘कवि’ ऐसा भी: पत्नी को सम्मान देने के लिए बदल लिया खुद का नाम

देश समेत यूपी व एमपी के शहरों के नाम बदलने के शोर के बीच आपको एक ऐसे कवि से मिलवाते हैं जिन्होंने अपना नाम बदला है।

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। देश समेत यूपी व एमपी के शहरों के नाम बदलने के शोर के बीच आपको एक ऐसे कवि से मिलवाते हैं जिन्होंने अपना नाम बदला है। वजह यह है कि वे अपनी पत्नी को सम्मान देना चाहते थे, इसलिए अपने नाम में पत्नी का नाम भी जोड़ लिया। इनका नाम है गौरव साक्षी, जो कविताओं के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं।

गौरव साक्षी को बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक रहा है। उनके चाचा भी कवि रह चुके हैं। दादाजी हिन्दी साहित्य के शिक्षक थे। वैसे तो उनका पूरा नाम गौरव सिंह चौहान है, लेकिन अब गौरव साक्षी के नाम से जाने जाते हैं। नाम के पीछे की कहानी बताते हुए गौरव कहते हैं कि साहित्य में तो बचपन से सक्रिय हैं। शादी के बाद अपनी पत्नी को सम्मान देने के लिए उन्होनें अपने नाम के साथ पत्नी का नाम जोड़ लिया और गौरव साक्षी (Gaurav Sakshi) बन गए।

आइआइटी जैसे संस्थानों में कर चुके हैं काव्य पाठ

गौरव अभी तक कई बड़े मंचों और कवियों के साथ प्रस्तुति दे चुके हैं। हाल ही में ‘वाह वाह क्या बात है’ में उन्होंने काव्य पाठ किया था। इसके अलावा आइआइटी दिल्ली, एनआइटी गुजरात, आइआइटी रूड़की (IIT Roorkee) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काव्य पाठ किया है। उनका एक शिवगीत ‘सिर्फ शंभू ही स्वयंभू हैं’ बहुत प्रसिद्ध हुआ है।

कोरोना काल में लिखा था एक गीत

आपको बता दें, कोरोना काल (Corona Period) में जब स्थित बेहद भयावह थी और पुलिस अपनी जान की परवाह किए बिना हम लोगों की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रही थी, तब कुछ लोग बिना काम के सड़कों पर घूम रहे थे। ऐसे लोगों पर पुलिस को सख्ती भी करनी पड़ी थी। इस पर लोगों को सामझाइश देने के लिए गौरव साक्षी कविताओं के रूप में सामने आए और उन्होंने ‘लापरवाही नहीं करना है’ गीत लिखा था।

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