बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जुमले से सत्ता हथियाने की जुगत!
20 माह में राज्य के सभी परिवारों को सरकारी नौकरी के वादे से तेजस्वी सवालों के घेरे में
Sandesh Wahak Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सवालों के घेरे में आ गए हैं। गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेस में उन्होंने राज्य की जनता से एक वादा कर लिया। वादा भी ऐसा कि जिसे पूरा करना नामुमकिन है। इसके चलते पार्टी के सत्ता में आते ही 20 माह में राज्य के सभी परिवारों को सरकारी नौकरी देने का उनका वादा मात्र जुमला बन कर रह गया है। क्या तेजस्वी इस जुमले से राज्य की सत्ता हासिल करने की जुगत में हैं, तो क्या उनका ये सपना पूरा हो पाएगा और राज्य की जनता इसे कितनी संजीदगी से लेगी, इस पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

यहां ये बता देना जरूरी है कि राज्य में 2.97 करोड़ परिवार हैं, जिनमें 18.23 लाख के पास ही सरकारी नौकरियां हैं। अब सवाल उठता है कि अगर राजद सत्ता में आ भी गई तो 20 माह में क्या वह 2.79 करोड़ लोगों को सरकारी नौकरियां दे पाने में सक्षम होगी। यही नहीं तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह डाला कि सत्ता में आते ही पार्टी 20 दिनों के भीतर इस संबंध में अधिनियम लाएगी और 20 माह में सभी परिवारों को सरकारी नौकरी मुहैया कराएगी।

चुनावी वादे सत्ता हथियाने का जुमला तो नहीं?
अब आते हैं सरकारी नौकरियों के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर। सबसे पहले समस्या आती है धन की। राज्य सरकार इतनी नौकरियों के लिए धन का जुगाड़ कहां से करेगी। इसके सरकारी नौकरियों के प्रकार पर बात उठती है, तो ये नौकरियां संविदा पर होंगी या नियमित। फिर उम्रसीमा क्या होगी। कई परिवारों में तो लोग सरकारी नौकरी के लिए अमूमन तय उम्रसीमा भी पार कर चुके होंगे। ऐसे परिवारों के लिए क्या सरकार अलग से कोई नियम बनाएगी। साथ शिक्षा का मापदंड और आरक्षण की क्या व्यवस्था होगी। क्या इन सभी जटिल समस्याओं का समाधान 20 दिन या 20 माह की अवधि में पूरा होना संभव है। जाहिर है ये वादा मात्र सत्ता हथियाने के लिए एक जुमला बन कर रह गया है।

क्या कहते हैं आंकड़े ?
राज्य में सामान्य वर्ग की आबादी 15 फीसदी और सरकारी नौकरियों में भागीदारी लगभग 6.41 लाख (3.19 प्रतिशत) है। पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी लगभग 6.22 लाख (14.75 फीसदी) है। ओबीसी की 36 प्रतिशत आबादी में लगभग 2.39 लाख (0.98 फीसदी) लोगों के पास ही सरकारी नौकरी है। एससी की 20 प्रतिशत आबादी में 2.91 लाख लोगों के पास ही सरकारी नौकरी है, जो 1.13 प्रतिशत है।

