संपादक की कलम से : विपक्ष को सबक

Sandesh Wahak Digital Desk : चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया है कि विपक्ष को भाजपा की रणनीति, उनके कॉडर, पीएम मोदी के नेतृत्व और पार्टी के क्षेत्रीय क्षत्रपों की कार्यशैली की काट अभी नहीं मिल सकी है। हिंदी पट्टी वाले राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है।

इसमें भाजपा ने जहां छत्तीसगढ़ और राजस्थान को कांग्रेस से छीना है वहीं मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही है। हालांकि कांग्रेस को तेलंगाना में सफलता मिली है लेकिन इसे लोकसभा चुनाव के नजरिए से देखें तो यह अधिक प्रभावशाली नहीं है। मिजोरम की मतगणना आज होनी है।

सवाल यह है कि :

  • कांग्रेस हिंदी पट्टी वाले राज्यों में क्यों सफल नहीं हुई?
  • क्या कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई?
  • क्या इसका प्रभाव विपक्षी महागठबंधन इंडिया पर पड़ेगा?
  • क्या विपक्षी गठबंधन सत्ता के संघर्ष की अपनी पहली परीक्षा में पूरी तरह फेल हो गया?
  • क्या सत्ता के सेमीफाइनल में शीर्ष पर पहुंची भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव की राह आसान हो गयी है?
  • क्या विधानसभा चुनाव के स्तर पर अपने सहयोगी दलों को दरकिनार करने के कारण कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा?
  • क्या विपक्षी दल इससे सबक सीखेंगे?

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल बताया जा रहा था और इसमें भाजपा पूरी तरह पास हो गई। भाजपा की सफलता और कांग्रेस की हार के कई कारण हैं। दरअसल, भाजपा की सफलता का राज उसका मजबूत कॉडर है जो जमीनी स्तर पर हर समय एक्टिव रहता है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए हमेशा सक्रिय रखती है। इससे वे जनता से सीधे जुड़ते हैं। पार्टी नेतृत्व इस पर पूरी नजर रखता है।

साइलेंस वोटर भी भाजपा की सफलता की बड़ी वजह

चुनाव के दौरान शीर्ष नेतृत्व से लेकर सामान्य कार्यकर्ता पूरी मेहनत करते हैं। खुद प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में भाग लेते हैं और उनकी लोकप्रियता का फायदा भाजपा को मिलता है। पार्टी के क्षेत्रीय क्षत्रप भी अपनी कार्यशैली से सत्ता विरोधी लहर को कुंद करने की पुरजोर कोशिश करते हैं। इसके अलावा योजनाओं के लाभार्थी और भाजपा के साइलेंस वोटर महिलाएं भी भाजपा की सफलता को सुनिश्चित करती हैं। वहीं कांग्रेस के पास इन सबका अभाव है।

यही नहीं वह भाजपा के खिलाफ बनाए गए महागठबंधन के सहयोगियों को भी एकजुट करने में सफल नहीं रही। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और सपा में तनातनी ने काफी नुकसान पहुंचाया। जाहिर है, कांग्रेस की इस हार का परिणाम गठबंधन पर पड़ेगा। हालांकि गठबंधन ने बैठक बुलाई है लेकिन लोकसभा चुनाव तक यह किस रूप में बरकरार रहेगा यह देखना होगा। वैसे इस हार ने साफ कर दिया है कि भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष को अब कोई दूसरी रणनीति बनानी होगी। फिलहाल भाजपा की सफलता का लोकसभा चुनाव पर असर पड़ना तय है।

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