संपादक की कलम से : नौसेना पर फोकस के मायने

Sandesh Wahak Digital Desk : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस आईएनएस इम्फाल को समुद्र में उतार दिया गया है। नौसेना बेड़े में युद्धपोत इम्फाल के शामिल होने से सेना की ताकत ही नहीं बढ़ेगी बल्कि समुद्र में दुश्मनों को आसानी से सबक भी सिखाया जा सकेगा।

सवाल यह है कि :

  • भारत सरकार लगातार नौसेना को मजबूत करने में क्यों जुटी है?
  • नौसेना के आधुनिकीकरण का एशिया के अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
  • क्या क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां तेज हो जाएंगी?
  • क्या समुद्री लुटेरों और आतंकवादियों पर शिकंजा कसने में मजबूत नौसेना अहम भूमिका निभा सकेगी?
  • क्या पिछले दिनों भारत आ रहे दो व्यापारिक जहाजों पर हूती विद्रोहियों के ड्रोन हमले ने सेना और सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं?
  • क्या इस प्रकार के हमले भारतीय कारोबार को प्रभावित करने के लिए किए जा रहे हैं?
  • क्या ऐसी गतिविधियों पर जल्द से जल्द लगाम लगाने की जरूरत सरकार को महसूस नहीं हो रही है?

किसी देश की अखंडता और संप्रभुता तभी सुरक्षित रख सकती है जब उसके पास अपने पड़ोसियों से बेहतर सेना और सैन्य साजो-सामान हो। भारत दो तरफ से दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान से घिरा हुआ है। चीन भारत को डिस्टर्ब करने के लिए हर हथकंड़े अपना रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन अपना दबदबा कायम करना चाहता है जबकि यह इलाका मुक्त व्यापार क्षेत्र है।

चीन पर नियंत्रण लगाने के लिए ही भारत, अमेरिका, आस्टे्रलिया और जापान ने मिलकर क्वाड का गठन किया है लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह समुद्री क्षेत्र में अपनी सैन्य क्षमता में लगातार इजाफा कर रहा है। जाहिर है, भारत को भी इसके अनुपात में नौसेना की क्षमता बढ़ानी ही होगी अन्यथा वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं कर सकेगा।

नौसेना को न केवल मजबूत बल्कि इसके आधुनिककरण करने की जरूरत

इसके अलावा उत्तर में हिमालय व पश्चिम में पाकिस्तान के कारण भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री रास्ते होता है। वहीं एक ओर समुद्री लुटेरों की समस्या है तो हाल में उपजी हूती विद्रोहियों का व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन से किए जा रहे हमले ने भी चिंता बढ़ा दी है। कुल मिलाकर रणनीतिक और व्यापारिक दोनों ही लिहाज से नौसेना को न केवल मजबूत बल्कि इसका आधुनिककरण करने की जरूरत है।

यदि ऐसा नहीं किया गया तो चीन और पाकिस्तान बेलगाम हो जाएंगे वहीं समुद्री लुटेरों और हूती विद्रोहियों से भी निपटना मुश्किल हो जाएगा। चार मोर्चों से एक साथ निपटने के लिए नौसेना को मजबूत करना जरूरी है और सरकार निश्चित रूप से इस ओर कदम बढ़ा रही है।

सुखद यह है कि युद्धपोत स्वदेश निर्मित हैं। इससे भारत को युद्धपोत खरीदने के लिए बड़ी धनराशि विदेशों को नहीं देनी पड़ रही है। हालांकि नौसेना को और भी मजबूत करने की जरूरत है ताकि दुश्मन देश भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत न कर सकें।

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