संपादक की कलम से : महंगाई का बढ़ता ग्राफ और सरकार

Sandesh Wahak Digital Desk : देश में महंगाई का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। खाद्य पदार्थों और सब्जियों की कीमतों में इजाफा जारी है। भारतीय रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद मूल्य स्थिर नहीं हो पा रहे हैं। लिहाजा अब सरकार इसे काबू करने की कवायद शुरू करने जा रही है।

बाजार में खाद्यान्न आपूर्ति का चक्र न बिगड़े इसके लिए केंद्र सरकार ने अतिरिक्त गेहूं और चावल बेचने की योजना बनायी है। इसके पहले सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। वह टमाटर के भावों को कम करने की भी कवायद कर चुकी है। हालांकि इसका बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।

सवाल यह है कि :-

  • सरकार महंगाई पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है?
  • क्या हर वस्तु को बाजार के हवाले करने के कारण स्थितियां बिगड़ी हैं?
  • क्या कृत्रिम रूप से बाजार में कमी का माहौल बनाया जा रहा है?
  • जमाखोरों और बिचौलियों पर अंकुश क्यों नहीं लगाया जा रहा है?
  • क्या अतिरिक्त गेहूं और चावल बाजार में बेचने से महंगाई की रफ्तार पर ब्रेक लग सकेगी?
  • क्या लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाए बिना महंगाई पर अंकुश लग सकेगा?

कोरोना महामारी के साथ पूरे विश्व में महंगाई ने भी दस्तक दी। भारत समेत तमाम देशों की अर्थव्यवस्था महामारी के दौरान लगाए गए लंबे लॉकडाउन के कारण मुंह के बल आ गयी। कई उद्योग-धंधों के बंद होने के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गए। रही सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध ने निकाल दी। इसके कारण अमेरिका और यूरोपीय देशों में महंगाई चरम पर पहुंच गयी। यहां खाद्यान्न का संकट उत्पन्न हो गया है।

बेरोजगारी ने बिगाड़ दिए हालात  

हालांकि भारत के कृषि क्षेत्र ने अपना पूरा योगदान दिया, लिहाजा यहां की अर्थव्यवस्था थमी रही लेकिन बेरोजगारी ने हालात को बिगाड़ दिया है। लोगों की क्रय शक्ति तेजी से गिरी और बाजार में पूंजी प्रवाह बाधित हुआ। कोरोना के प्रभाव के करीब-करीब खत्म होने से स्थितियों में सुधार जरूर आया लेकिन बेरोजगारी में उस अनुपात में अभी भी कमी नहीं आई है। इसका सीधा असर बाजार पर पड़ा।

हालांकि खाद्यान्न और सब्जियों के दामों में इजाफा होने का सबसे बड़ा कारण जमाखोरों और बिचौलियों द्वारा कृत्रिम अभाव पैदा करना रहा है क्योंकि इन वस्तुओं के उत्पादन में फिलहाल कोई कमी नहीं दर्ज की गई है। बाजार में कृत्रिम कमी के कारण मांग और आपूर्ति में संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण वस्तुओं के दामों में इजाफा हो रहा है।

सरकार इसको कम करने के लिए गेहूं और चावल को बाजार में बेचकर स्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश करने जा रही है लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। सरकार यदि महंगाई पर नियंत्रण करना चाहती है तो उसे एक ओर रोजगार के साधनों को बढ़ाना होगा वहीं दूसरी ओर जमाखोरों पर अंकुश लगाना होगा। साथ ही जरूरी वस्तुओं को बाजार के हवाले करने की अपनी नीति में बदलाव करना होगा। इसकी कीमतें तय करनी होंगी अन्यथा स्थितियां और बिगड़ेंगी।

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