Hardoi News: अंबेडकर उद्यान में करोड़ों की गड़बड़ी का आरोप, लोकायुक्त के आदेश पर जांच टीम सक्रिय

Hardoi News: शहर के बाबू श्री चंद्र अग्रवाल बारात घर के सामने स्थित अंबेडकर उद्यान और तालाब के सौंदर्यीकरण में करोड़ों रुपये की अनियमितताओं की शिकायत के बाद अब जांच तेज हो गई है।

उत्तर प्रदेश लोकायुक्त के आदेश पर सीतापुर से आई उच्च स्तरीय जांच टीम ने बुधवार को हरदोई पहुंचकर पूरे प्रकरण की गहन जांच शुरू की।

मामले की लीपापोती की गई थी

शिकायत वरिष्ठ पत्रकार बृजेश श्रीवास्तव द्वारा की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उद्यान में हुए सौंदर्यीकरण, खुदाई, सिल्ट निकासी, इंटरलॉकिंग और विद्युत कार्यों में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। शिकायत में यह भी कहा गया कि पहले हुई जांच में मामले की लीपापोती की गई थी।

लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच के बाद हरदोई के तत्कालीन जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह को निर्देश दिए थे, लेकिन शिकायतकर्ता के असंतुष्ट रहने पर पुनः जांच के आदेश जारी किए गए।

टीम ने हरदोई पहुंचकर संबंधित स्थलों का निरीक्षण किया

इसके बाद सीतापुर जिले से गठित जांच टीम, जिसमें एडीएम नीतीश कुमार सिंह, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर एस. दामिनी दास और अवर अभियंता राघवेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं, हरदोई पहुंचकर संबंधित स्थलों का निरीक्षण किया।

टीम ने नगर पालिका अधिकारियों से आवश्यक दस्तावेज मांगे और तत्कालीन ईओ रवि शंकर शुक्ला, वर्तमान ईओ विनोद कुमार सोलंकी व निर्माण लिपिक कमल शुक्ला से जवाब तलब किया।

करोड़ों का भुगतान और मिट्टी बिक्री पर सवाल

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि तालाब की खुदाई, सिल्ट निकासी, इंटरलॉकिंग और अन्य कार्यों के लिए अलग-अलग निविदाएं जारी की गईं और भुगतान करोड़ों रुपये का हुआ। आरोप है कि खुदाई से निकली मिट्टी सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में निकालकर निजी तौर पर बेची गई, जिससे लाखों रुपये का लेनदेन हुआ।

जांच का मुख्य फोकस अब यह है कि मिट्टी किसके आदेश पर बेची गई, और क्या उसकी राशि नगर पालिका के खाते में जमा हुई या निजी उपयोग में ली गई।

पूरे प्रकरण से जुड़े तथ्य उजागर होंगे

टीम ने फिलहाल स्थल निरीक्षण, प्रारंभिक पूछताछ और दस्तावेजों की समीक्षा पूरी कर ली है। अब तैयार की जा रही विस्तृत रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंपी जाएगी, जिसमें पूरे प्रकरण से जुड़े तथ्य उजागर होंगे।

हरदोई में स्थानीय लोग और शिकायतकर्ता अब लोकायुक्त की अंतिम रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिससे साफ होगा कि करोड़ों की परियोजना में पारदर्शिता बरती गई या फिर गड़बड़ी की परतें खुलेंगी।

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