Shravasti News: अदालत से लेकर सियासत तक गरमा रहा है श्रावस्ती का मदरसा विवाद
Sandesh Wahak Digital Desk: श्रावस्ती जिले में मदरसों पर हुई प्रशासनिक कार्रवाई अब सियासी तूल पकड़ चुकी है। विवाद ने प्रशासनिक दफ्तरों से निकल कर अदालत की चौखट को चूमते हुए अब राजनीतिक दलों में भी सियासत तेज कर दी है।
जानकारी के अनुसार मंगलवार को राजधानी लखनऊ में जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक उच्चस्तरीय डेलिगेशन राज्य सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी से मिला है। इस मुलाकात में जमीयत उलमा के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक के दौरान मदरसों पर हुई कार्रवाई और भविष्य की रणनीति पर गहन चर्चा हुई है। सूत्रों का कहना है कि जमीयत का यह डेलिगेशन 27 अगस्त को श्रावस्ती पहुंचेगा। जहां पर वें स्थिति का प्रत्यक्ष जायज़ा लेंगे और ज़मीनी स्थिति के आधार पर आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
हाईकोर्ट में दायर हुई थी याचिका
गौरतलब है कि जिन मदरसों को सील किया गया था, उनके संचालकों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की थी। अदालत ने मदरसों की सील खोलने का आदेश जारी किया। अदालत के इस फैसले से मदरसा संचालकों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि इसी बीच जिला प्रशासन ने नया कदम उठाते हुए सील मदरसों की 38 बिंदुओं पर जांच करने के लिए 44 टीमें गठित कर दी। इन टीमों को मदरसों की वित्तीय स्थिति, पंजीकरण, भूमि संबंधी दस्तावेज़ और शिक्षण गतिविधियों की बारीकी से जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
मदरसों पर की गई कार्रवाई और उसके बाद अदालत के फैसले ने राज्य की सियासत को गरमा दिया है। राजनीतिक दल इसे अपने-अपने नजरिए से मुद्दा बना रहे हैं। विपक्षी दल प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि सब कुछ नियम और कानून के दायरे में किया जा रहा है।
श्रावस्ती का मदरसा विवाद अब महज प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा। अदालत का आदेश, प्रशासन का रुख और सियासी दख़ल – तीनों ने इस मामले को संवेदनशील और व्यापक बना दिया है। आने वाले दिनों में जमीयत का श्रावस्ती दौरा और प्रशासनिक जांच की रिपोर्ट तय करेगी कि यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
रिपोर्ट: इसरार अहमद
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