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Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान ख़त्म हो चुका है। अब शनिवार 13 मई को मतगणना होगी। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों की निगाहें निकाय चुनाव के नतीजे पर है, क्योंकि कई दल इसे 2024 का सेमीफाइनल बता रहे हैं। निकाय चुनाव के नतीजे तय करेंगे की आने वाले समय में राजनीतिक दलों की रणनीति किस दिशा में जाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निकाय चुनाव के नतीजे चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं के लिए भी अहम साबित होंगे।
जानकारों की माने तो निकाय चुनाव के नतीजे शहरी क्षेत्रों में राजनीतिक मनोदशा का भी संकेत देंगे और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं की स्थिति के बारे में बड़ा संकेत देंगे। बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी सभी ने आक्रामक अभियान शुरू किया था। भाजपा ने प्रचार के लिए मंत्रियों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को तैनात किया, मुख्य विपक्षी सपा ने भी पूर्व मंत्रियों और पार्टी के दिग्गजों को चुनाव प्रचार का काम सौंपा। लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अभियान में बड़े-बड़े लोगों को तैनात किया और उन्हें उन विभिन्न केंद्रों में प्रभारी बनाया जहां चुनाव हुए थे। कई मायनों में यह शहरी इलाकों के लोगों के राजनीतिक मिजाज की भी परीक्षा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में रिकॉर्ड संख्या में रैलियां की। पहली बार सपा मुखिया अखिलेश यादव भी शहरी स्थानीय निकाय चुनाव प्रचार में शामिल हुए और सहारनपुर, अलीगढ़ में रोड शो किए। लखनऊ रिवर फ्रंट से अखिलेश ने योगी सरकार पर जमकर हमला भी बोला।
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बसपा मुखिया मायावती इस बार नई रणनीति के साथ चुनाव में उतरीं। मायावती ने 17 में से 11 जगहों पर मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया। बसपा ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में एक सीट जीती थी। इसलिए अबकी बार मायावती 2024 से पहले नई रणनीति का प्रयोग कर रही है। कांग्रेस भी इस बार निकाय चुनाव में उतरी थी, लेकिन बड़े नेताओं ने इस चुनाव में प्रचार से दूरी बनाए रखी। खासतौर से प्रियंका गांधी एक बार भी निकाय चुनाव में प्रचार करने नहीं आईं। अब तो नतीजे ही पार्टियों को आईना दिखायेंगे कि लोकसभा 2024 के लिए कैसी रणनीति बनानी है।
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