निकाय चुनाव में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, नतीजों से तय होगी लोकसभा की राह

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के नतीजों से सियासी दलों की मिशन 2024 को लेकर की तैयारियों की मजबूती भी आंकड़ों के आईने में नजर आने लगेगी।

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के नतीजों से सियासी दलों की मिशन 2024 को लेकर की तैयारियों की मजबूती भी आंकड़ों के आईने में नजर आने लगेगी। दरअसल इस चुनाव के ठीक एक साल बाद लोकसभा का चुनाव प्रस्तावित है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं, जिसमें से 50 सीटें शहरी इलाकों के प्रभाव में है। मिशन 2024 के मद्देनजर सत्तापक्ष और विपक्ष समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी इस बार दांव पर है।

निकाय चुनाव में भाजपा ने कई नए प्रयोग किए हैं। निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जिसमें से 90 फीसदी से ज्यादा पसमांदा मुस्लिम हैं। ऐसे में अगर निकाय चुनाव के परिणाम में भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती है तो एक नया सामाजिक समीकरण बनेगा और भाजपा का पसमांदा मुस्लिमों को अपनी तरफ लाने के प्रयास को सफल माना जाएगा।

2017 में मेयर सीट पर जीत से वंचित थी सपा

वहीं निकाय चुनाव के परिणाम में अगर समाजवादी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है तो इसका मतलब साफ होगा कि सपा को मुस्लिम, यादव, दलित और सवर्ण वोटर्स का साथ मिल रहा है। पिछले निकाय चुनाव में सपा एक भी मेयर की सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई थी लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत के चेयरमैन जरूर बने थे।

प्रदेश में मायावती काफी समय से दलित और मुस्लिम समीकरण बनाकर राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती हैं। पार्टी ने 2017 के निकाय चुनाव में दलित-मुस्लिम समीकरण के माध्यम से बेहतर प्रदर्शन किया था। बसपा ने दलित-मुस्लिम समीकरण की मदद से ही पिछली बार अलीगढ़ और मेरठ के नगर निगम में अपना मेयर बनाया।

मुस्लिम वोट बैंक लोकसभा चुनाव पर डालेगा असर

यूपी जैसे बड़े राज्य में मुस्लिम वोट बैंक भी हर पार्टी के लिए सबसे ज्यादा अहम हो जाते हैं। तमाम दल मुस्लिम वोटर्स को लुभाने के लिए कई वादे करने में लगे हैं हालांकि इस समुदाय के वोटर्स ज्यादातर बसपा और अखिलेश यादव को ही ज्यादातर वोट देते आये हैं। पिछले कुछ चुनावों के नतीजों से पता चलता है कि मायावती की पार्टी से मुस्लिम वोट छिटके हैं, इसका फायदा भाजपा उठाना चाहती है। भाजपा अखिलेश यादव के मुस्लिम-यादव समीकरण को कमजोर करने की पुरजोर कोशिश में लगी है।

इस राज्य में कुल वोटर्स का 20% मुस्लिम है, जो अलग-अलग पार्टियों में बंटा हुआ है। यहां लगभग 140 सीटों पर मुस्लिम वोटर जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

महागठबंधन का भविष्य भी तय होगा

साल 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में एकजुटता से कामयाबी हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी, रालोद और आसपा गठबंधन में निकाय चुनाव के दौरान दरार नजर आई। सीटों के बंटवारे से लेकर प्रत्याशियों के चयन पर इन पार्टियों के बीच नाराजगी दिखी। नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष के अलावा सभासद प्रत्याशियों में भी गठबंधन के कार्यकर्ता एक-दूसरे के आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में निकाय चुनाव में अब सवाल गठबंधन की साख का बन गया है।

Also Read: UPPCL: भरे जाएंगे बिजली कंपनियों में निदेशकों के 17 रिक्त पद, अंतिम तिथि 23 मई

Get real time updates directly on you device, subscribe now.