यूपी आवास विकास परिषद : सिद्धार्थ विहार योजना में अरबों का भूमि घोटाला

शासन सख्त, आवास विकास परिषद के शीर्ष अफसर मेहरबान

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी आवास विकास परिषद की गाजियाबाद स्थित सिद्धार्थ विहार योजना में अफसरों ने अरबों के घोटाले की कलंक कथा लिखी है। अखिलेश सरकार के दौरान परिषद के सिंह इज किंग बने अफसरों ने इस बड़े घोटाले की नींव रखी थी। योगी सरकार में शासन अरबों के इस घोटाले पर कार्रवाई के मूड में नजर आ रहा है। उसके बावजूद आवास विकास के बड़े अफसर घोटालेबाजों को बचाने में जुटे हैं।

सिद्धार्थ विहार योजना में कौड़ियों के भाव निजी सोसाइटियों को जमीने परिषद के अफसरों ने आवंटित की हैं। तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास और आवास आयुक्त की भूमिका भी इस घोटाले में बेहद संदिग्ध है। अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने इस घोटाले की विस्तृत जांच के लिए एसआईटी बनाने के आदेश दिए हैं।

सवालों के कटघरे में शीर्ष अफसर

पिछले साल मई में तत्कालीन अपर आवास आयुक्त उदयभानु त्रिपाठी, डीएम गाजियाबाद और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक और संयुक्त आवास आयुक्त की टीम ने भी जांच में घोटाले की पुष्टि की थी। इसके बाद मेरठ कमिश्नर की जांच रिपोर्ट ने भी इसे प्रमाणित किया। लेकिन कमिश्नर ने 23 मार्च को जो रिपोर्ट आवास आयुक्त को भेजी थी, उसका अध्ययन तक अभी नहीं किया जाना आवास विकास के शीर्ष अफसरों को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।

सोमवार को अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की बैठक में भी आवास विकास के अफसरों ने पूरी तैयारी से शिरकत नहीं की। नतीजतन उन्हें 15 दिनों का समय दिया गया है। लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट को फाइलों में क्यों दफन रखा गया। यह एक बड़ा सवाल है। सूत्रों के मुताबिक सिद्धार्थ विहार योजना में हुए घोटाले के आरोपी अफसरों ने आवास विकास परिषद की कई कीमती संपत्तियां भी परदे के पीछे से हथियाई हैं।

सपा सरकार में ‘सिंह इज किंग’ बने अफसर थे मुखिया

अखिलेश सरकार के दौरान खनन घोटाले में फंसे एक तत्कालीन सचिव आवास के इशारे पर परिषद के अफसरों ने शासनादेश को ताख पर रखकर बड़े-बड़े भूखंड इन सोसाइटियों को बांटे थे। सिद्धार्थ विहार योजना में घोटाले के हीरो लम्बे समय तक आवास विकास परिषद में तैनात रहे एक रिटायर आईएएस हैं। जो बाद में आयुक्त भी बने। वहीं पूरी भूमिका सपा के एक नेता और परिषद के एक रिटायर उप आवास आयुक्त की है। घोटाले के खिलाफ किसानों ने लखनऊ आकर प्रदर्शन भी किया था। ‘सिंह इज किंग’ बने रिटायर उप आवास आयुक्त की कई कंपनियों में करोड़ों की पार्टनरशिप भी बताई जा रही है। गहराई से जांच में कई अफसर बेनकाब होंगे।

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