CM योगी ने किया वादा, फिर भी नहीं माफ हुई पंखुड़ी की फीस; अब अखिलेश यादव बोले- हमारी जिम्मेदारी

Sandesh Wahak Digital Desk: गोरखपुर की सातवीं कक्षा की छात्रा पंखुड़ी त्रिपाठी इन दिनों एक बार फिर चर्चा में है। 1 जुलाई को गोरखनाथ मंदिर में आयोजित जनता दर्शन के दौरान जब वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली, तो उसने अपने दिव्यांग पिता की स्थिति और स्कूल फीस भरने में आ रही दिक्कतों को खुलकर साझा किया। मुख्यमंत्री ने न केवल उसकी बात गंभीरता से सुनी, बल्कि तत्काल अधिकारियों को फीस की व्यवस्था कराने का निर्देश भी दे दिया।

लेकिन अफसोस की बात यह रही कि सरकारी निर्देश के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने पंखुड़ी की फीस माफ नहीं की। बच्ची का कहना है कि जब वह स्कूल पहुंची तो प्रधानाचार्य ने साफ शब्दों में इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं भी यहां चपरासी की तरह हूं, एक की फीस माफ कर दी तो सब आएंगे।”

कौन है पंखुड़ी त्रिपाठी?

पंखुड़ी, गोरखपुर के पुरदिलपुर इलाके की रहने वाली है और सरस्वती शिशु मंदिर में कक्षा 7 की छात्रा है। उसके पिता राजीव त्रिपाठी दिव्यांग हैं और अब कामकाज करने में असमर्थ हैं। मां मीनाक्षी त्रिपाठी एक दुकान में नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। उसका बड़ा भाई कक्षा 12वीं का छात्र है। आर्थिक तंगी के कारण पंखुड़ी की पढ़ाई खतरे में पड़ गई थी।

मुख्यमंत्री का भरोसा, बच्ची की उम्मीद

दरअसल जनता दर्शन में पंखुड़ी ने मुख्यमंत्री से कहा था, “महाराज जी, मेरी पढ़ाई छूट रही है।” इस पर मुख्यमंत्री योगी ने भरोसा दिया कि “बेटी, तुम्हारी पढ़ाई नहीं रुकेगी। फीस माफ कराएंगे या खुद देंगे।” मुख्यमंत्री ने उसकी इच्छा पर उसके साथ फोटो भी खिंचवाया, जिससे बच्ची बेहद खुश थी।

अब अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया

तो वहीं इस मामले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा “जो लोग तिजोरी भरने में लगे हैं, वो किसी की फीस क्या माफ कराएंगे। हमारा वादा है कि बच्ची की पढ़ाई नहीं रुकेगी। यही है भाजपा के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नारे का असली चेहरा। बच्चों से झूठ न बोलें।”

सवालों के घेरे में स्कूल और व्यवस्था

मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद अगर स्कूल फीस माफ नहीं कर रहा, तो प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठना लाज़िमी है। स्कूल प्रबंधन की यह दलील कि “फीस माफ करने से और लोग आ जाएंगे” क्या ये एक जिम्मेदार शिक्षा संस्था के लिए उचित तर्क है? क्या गरीब और जरूरतमंद बच्चों की मदद सिर्फ वादों तक सीमित रह जाएगी?

आगे क्या?

अब सबकी निगाहें प्रशासन और शिक्षा विभाग पर टिकी हैं कि वे इस पूरे मामले में क्या ठोस कार्रवाई करते हैं। फिलहाल, पंखुड़ी को एक बार फिर से इंतज़ार है अपने भविष्य की राह खुलने का।

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