माफिया मुख्तार अंसारी के चार करीबियों की संपत्ति भी जब्त करेगी ईडी

बांदा जेल में बंद बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशा अंसारी के स्वामित्व वाली कंपनी विकास कंस्ट्रक्शन से जुड़े रविंद्र नरायन सिंह, जाकिर हुसैन, विक्रम अग्रहरि और शादाब अहमद की चल-अचल संपत्तियों को ईडी ने चिन्हित कर लिया है।

Sandesh Wahak Digital Desk: बांदा जेल में बंद बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशा अंसारी के स्वामित्व वाली कंपनी विकास कंस्ट्रक्शन से जुड़े रविंद्र नरायन सिंह, जाकिर हुसैन, विक्रम अग्रहरि और शादाब अहमद की चल-अचल संपत्तियों को ईडी ने चिन्हित कर लिया है। अब ईडी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत चारों की चल अचल संपत्ति को जब्त करने की तैयारी में जुट गई है।

माफिया मुख्तार अंसारी के करीबी जितेंद्र सापरा निवासी प्रयागराज और गणेश दत्त मिश्रा निवासी मऊ की तरह चार अन्य लोग भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर आ चुके हैं। मऊ के रैनी गांव में स्थित मुख्तार की पत्नी अफशा अंसारी के स्वामित्व वाली कंपनी विकास कंस्ट्रक्शन से जुड़े रविंद्र नरायन सिंह, जाकिर हुसैन, विक्रम अग्रहरि और शादाब अहमद की चल-अचल संपत्तियों को जल्द ही अपने कब्जे में ले लेगी।

प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया है कि मुख्तार की काली कमाई को विकास कंस्ट्रक्शन के बैंक खाते में जमा किया जा रहा था। बैंक में नगदी जमा करने के बाद उसे बिना देर किए ही निकाल कर रियल एस्टेट में खपाया जाता था। यही नहीं जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए विकास कंस्ट्रक्शन में जमा रकम को मुख्तार के ससुर जमशेद राना के स्वामित्व वाली कंपनी आगाज प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग के खाते में ट्रांसफर किया जाता था।

बाद में ये रकम दोबारा विकास कंस्ट्रक्शन के खाते में भेज दी जाती थी। इस रकम से मऊ, गाजीपुर, जालौन, दिल्ली व लखनऊ में 23 संपत्तियां खरीदी गई। जांच में ये भी पता चला है कि इनमें से अधिकतर संपत्तियों को मुख्तार ने अपना टेरर के बल पर बाजार भाव से आधी से कम कीमत में खरीदा था।

नहीं थे रुपए, फिर भी खरीदी 1.29 करोड़ की संपत्तियां

जांच में सामने आया है कि गणेश दत्त मिश्रा ने गाजीपुर में जिन दो संपत्तियों को खरीदा था, उसके पास इसके लिए रुपए नहीं थे। इन संपत्तियों को 1.29 करोड़ में खरीदा गया, हालांकि इसके भुगतान के सबूत अभी तक की जांच में नहीं मिले हैं। बताया जा रहा है कि उक्त संपत्तियां मुख्तार की बेनामी संपत्तियां थी, जिसे गणेश दत्त मिश्रा के नाम से खरीदा गया था। बाद में गणेश दत्त मिश्रा ने इन संपत्तियों को आगाज प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 1.60 करोड़ रुपये का लोन लेने के लिए बंधक रखा था। मुख्तार के ससुर का इस कंपनी में गणेश दत्त मिश्रा का कोई संबंध नहीं मिला है।

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