संपादक की कलम से : अपराधों का बढ़ता ग्राफ और तंत्र

Sandesh Wahak Digital Desk : प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक छात्रा की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसके ठीक एक दिन पहले आजमगढ़ में दुकान में घुसकर बदमाशों ने कपड़ा व्यापारी पिता-पुत्र की हत्या कर दी। हाल में घटी ये दो घटनाएं यह बताने के लिए काफी है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का हाल कैसा है।

सवाल यह है कि :-

  • अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का असर बदमाशों पर क्यों नहीं पड़ रहा है?
  • इनके हौसले लगातार बुलंद क्यों होते जा रहे हैं? ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बावजूद हालात सुधर क्यों नहीं रहे हैं?
  • संगीन अपराधों में शामिल अपराधियों को खोजने में पुलिस के पसीने क्यों छूट रहे हैं?
  • क्या कानून व्यवस्था का डर बदमाशों के मन से पूरी तरह निकल चुका है?
  • संगठित अपराधों पर भी अभी तक नकेल क्यों नहीं कसी जा सकी है?
  • क्या लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है?
  • क्या ऐसे ही प्रदेश में कानून का शासन स्थापित हो सकेगा?

यूपी में आए दिन हत्या, गैंगरेप, बलात्कार, लूटपाट जैसी संगीन वारदातें हो रही हैं। वहीं साइबर अपराधी आम आदमी को ठगने में जुटे हैं। ये अपराधी लोगों की गाढ़ी कमाई उनके खातों से उड़ा रहे हैं। साइबर अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अपराधों का ग्राफ बढ़ने की बड़ी वजह पुलिस की लापरवाह कार्यप्रणाली है।

आम आदमी की शिकायतें तक थाने में दर्ज करने में आनाकानी

हालत यह है कि आम आदमी की शिकायतें तक थाने में दर्ज करने में आनाकानी की जाती है। कई मौकों पर पुलिस पीड़ित पर आरोपी से समझौते का दबाव बनाती है। कुछ आपराधिक मामलों में तो पुलिसकर्मियों के शामिल होने तक का मामला प्रकाश में आया है। हैरानी की बात यह है कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर का भी इन अपराधियों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है और वे संगीन अपराधों को अंजाम देकर आराम से फरार हो जाते हैं। अधिकांश मामलों में अपराधियों के शिकार महिलाएं, बच्चे और कारोबारी हो रहे हैं।

कई बार मामले की शिकायत के बावजूद पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने के कारण भी बड़ी आपराधिक वारदातें होती हैं। कई बार थाना क्षेत्र में कम अपराध दिखाने के लिए एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है। खुफिया तंत्र का यह हाल है कि संगठित अपराधों की भनक तक पुलिस को नहीं लग पाती है और वह वारदात के बाद लकीर पीटती रह जाती है और अपराधी उसके चंगुल से बाहर चला जाता है। ऐसे कई बहुचर्चित मामले आज भी ठंडे बस्ते में पड़े हुए हैं।

यह स्थिति तब है जब सरकार ने अपराध  के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का ऐलान कर रखा है। यदि सरकार वाकई प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना चाहती है तो उसे न केवल पुलिस तंत्र में आमूल बदलाव करने होंगे बल्कि पुलिसकर्मियों को तकनीकी में दक्ष भी बनाना होगा। साथ ही अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाना भी सुनिश्चित करना होगा अन्यथा हालत दिनोंदिन खराब होते जाएंगे। यह सरकार और प्रदेशवासियों दोनों के लिए ठीक नहीं है।

Also Read : संपादक की कलम से : कनाडा से रिश्तों में…

Get real time updates directly on you device, subscribe now.