Labor Department: चहेतों को सैकड़ों किमी दूर क्षेत्रीय दफ्तरों का डबल चार्ज थमाने का खेल

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है…बशीर बद्र के इस शेर पर यूपी के श्रम एवं सेवायोजन विभाग की वो शीर्ष हस्तियां खरी उतरती हैं। जिन्हे क्षेत्रीय दफ्तरों में चहेते श्रम अफसरों को दोहरा प्रभार देना कुछ ज्यादा ही लुभा रहा है।

भले अतिरिक्त प्रभार वाला कार्यक्षेत्र मूल तैनाती से सैकड़ों किमी दूर ही क्यों न हो। जबकि विभाग में विकल्प के तौर पर दूसरे अफसर पहले से मौजूद हैं। मलाईदार तैनाती की चाह में सैकड़ों किमी दूर बैठे अफसरों को तनिक भी फिक्र नहीं है कि आम जनता का काम इससे प्रभावित होगा या नहीं।

श्रम विभाग में लम्बे समय से जारी है खेल

आलम ये है कि कनिष्ठ स्तर के पदों पर बैठने से भी ऐसे अफसरों को गुरेज नहीं है। ये खेल श्रम विभाग में लम्बे समय से जारी है। तबादला सीजन आने के बावजूद मजाल है कि अफसरों का अतिरिक्त प्रभार टस से मस हो जाए। 26 मई को शासन ने आदेश जारी करके पिपरी सोनभद्र के उप श्रमायुक्त अरुण कुमार सिंह को आजमगढ़ में इसी पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। आजमगढ़ के उप श्रमायुक्त राजेश कुमार के रिटायर होने के बाद से पद रिक्त था।

ख़ास बात ये है कि इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं देय नहीं होगा। पिपरी से आजमगढ़ की दूरी तकरीबन 300 किमी है। मुख्यालय में कई उप श्रमायुक्त पहले से मौजूद हैं। जिन्हे क्षेत्रीय प्रभार सौंपा जा सकता था। पड़ताल करने पर श्रम एवं सेवायोजन विभाग में इस तरह डबल चार्ज की रेवड़ी बांटने का खेल सतह पर आते देर नहीं लगी।

चंद माह पहले लखनऊ के अपर श्रमायुक्त मधुर सिंह के निधन के बाद इस पद का प्रभार 300 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर बैठे आगरा के उप श्रमायुक्त राकेश द्विवेदी को सौंप दिया गया।

मुख्यालय में अपर श्रमायुक्त स्तर की महिला अफसर होने के बावजूद उन्हें फील्ड का कार्यभार नहीं दिया गया। सैकड़ों किमी दूर तैनात जूनियर अफसर को अतिरिक्त कार्यभार थमाने से कई सवाल खड़े होते हैं। इसी अंदाज में शासन ने कानपुर स्थित मुख्यालय में मूल रूप से तैनात अपर श्रमायुक्त सरजू राम शर्मा को डेढ़ वर्ष से 450 किमी दूर नोएडा के उप श्रमायुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार देकर संबद्ध कर रखा है।

अफसरों को कनिष्ठ स्तर के पद पर क्यों बिठाया जा रहा?

इस अफसर को मलाईदार तैनाती के लिए जूनियर स्तर के पद पर बैठने से रत्ती भर भी परहेज नहीं है। शर्मा प्रमोशन के बावजूद इससे पहले डेढ़ वर्ष तक मिर्जापुर मंडल में उप श्रमायुक्त के पद पर तैनात रहे थे। आखिर उच्च स्तर वाले अफसरों को कनिष्ठ स्तर के पद पर क्यों बिठाया जा रहा है। इस अफसर को लखनऊ में अपर श्रमायुक्त का पद भी दिया जा सकता था। हालांकि एनसीआर में मलाईदार तैनाती से अफसरों को मोह कुछ ज्यादा ही रहता है।

इसी तरह शासन ने कानपुर की मूल तैनाती संभाले उप श्रमायुक्त धर्मेंद्र सिंह को करीब 350 किमी दूर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अपर श्रमायुक्त पद का अतिरिक्त प्रभार तकरीबन एक साल से थमा रखा है। दो माह में इस अफसर का रिटायरमेंट है। श्रम विभाग में अपने काम के वास्ते आने वाली आम जनता को ऐसे बड़े अफसर अक्सर दफ्तर से गायब मिलते हैं क्योंकि उनका एक पैर मूल तैनाती और दूसरा सैकड़ों किमी दूर अतिरिक्त कार्य प्रभार में फंसा रहता है। श्रम विभाग में वादों का निस्तारण भी इससे जरूर प्रभावित होता होगा। लेकिन शासन से लेकर विभागीय मंत्री के स्तर तक डबल चार्ज को लेकर तनिक भी गंभीरता नजर नहीं आ रही है।

उच्चस्तरीय सरकारी बैठकों में रसूखदार ठेकेदार की मौजूदगी

सीएम योगी के स्पष्ट निर्देश हैं कि सरकारी विभागों में कोई बाहरी व्यक्ति नजर नहीं आना चाहिए। इसके बावजूद श्रम एवं सेवायोजन विभाग में मानो उलटी गंगा बह रही है। सूत्रों की माने तो विभाग की एक कद्दावर हस्ती का बेहद ख़ास एक रसूखदार ठेकेदार उच्चस्तरीय बैठकों तक में मौजूद रहता है। विभाग के अफसर-कर्मी भी इस शख्स से मानो खौफ खाते हैं।

15 जून तक ट्रांसफर होंगे, सब व्यवस्थित करा दिया जाएगा : अनिल राजभर

क्षेत्रीय अफसरेां को अतिरिक्त प्रभार सौंपने के मुद्दे पर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि हमको पता है किसको कहां भेजना है। 15 जून तक ट्रासंफर होंगे। सब व्यवस्थित करा दिया जाएगा। प्रमुख सचिव श्रम एमकेएस सुंदरम के अवकाश पर होने के कारण इस प्रकरण पर शासन का आधिकारिक पक्ष नहीं मिल सका।

गृह जनपद के मंडल का भी सौंप दिया अतिरिक्त प्रभार

कानपुर मुख्यालय में उप श्रमायुक्त घनश्याम सिंह को इसी पद पर अयोध्या क्षेत्रीय दफ्तर का अतिरिक्त प्रभार मिला है। जबकि इस अफसर का गृह जिला अम्बेडकरनगर है। जो अयोध्या मंडल का हिस्सा है। आखिर गृह जनपद वाले मंडल में शासन ने इस अफसर को अतिरिक्त प्रभार कैसे दे रखा है।

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