खिलाड़ियों को कानूनी मदद के लिये शोध केंद्र की जरूरत – सुप्रीम कोर्ट

Sandesh Wahak Digital Desk : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा ने शुक्रवार को कहा कि खेलों से जुड़े कानून के क्षेत्र में शोध के लिये और खिलाड़ियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिये देश में एक संस्थान की जरूरत है ।

उन्होंने यह सुझाव ऐसे समय में दिया है जब देश के शीर्ष पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में प्रदर्शन कर रहे है।

‘इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईयूएलईआर)’ के स्थापना दिवस के मौके पर जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि दूरसंचार, चुनाव, प्रशासनिक कानून और खेलों के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले विश्वविद्यालय होने चाहिये ।

उन्होंने कहा कि ‘दुनिया के बाकी हिस्सों के खिलाड़ियों की तरह भारत में खिलाड़ियों को संस्थागत सहायता नहीं मिल पाई है। हमने उन्हें बाहर किये जाने, खेल अधिकारियों के दबदबे और कई मौकों पर अदालतों के दखल की जरूरत भी देखी है’।

पी एस नरसिम्हा ने कहा कि इन जरूरतों को पूरा करने के लिये विश्व स्तरीय संस्थान की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि ‘इस तरह का संस्थान जरूरी खेल कानूनों को बनाने या उनमें सुधार के सुझाव दे सकता है। इसके साथ ही खिलाड़ियों के वैधानिक अधिकारों की रक्षा भी कर सकता है। खिलाड़ियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिये सहायता तंत्र होना चाहिये। भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में’।

उन्होंने खेल कानून शोध केंद्र स्थापित किये जाने का भी सुझाव दिया। इस मौके पर भारतीय बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने इस तरह का केंद्र जल्दी ही स्थापित करने की घोषणा की।

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