यूपी में पोस्टर वॉर से बढ़ी सियासी तकरार, बीजेपी के खिलाफ सपा ने खोला मोर्चा

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमाती दिख रही है। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ‘पोस्टर वार’ तेज़ हो गया है। विवाद की जड़ बना भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री जीशान खान का बयान, जिसमें उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के ‘डीएनए’ को लेकर टिप्पणी की थी। इस बयान से आहत सपा कार्यकर्ताओं ने मंगलवार देर रात लखनऊ की सड़कों पर जीशान खान के लगाए पोस्टरों पर कालिख पोत कर विरोध जताया।

सड़क पर उतरे सपा कार्यकर्ता, जीशान के पोस्टर पर फूटा गुस्सा

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भाजपा नेता ने शहर के प्रमुख चौराहों पर ऐसे पोस्टर लगाए हैं जिनमें सपा और उनके नेता के खिलाफ आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर इस तरह की राजनीति नहीं रुकी, तो वे पोस्टर लगाने वालों का चेहरा भी काले रंग से पोत देंगे।

सपा लोहिया वाहिनी के सचिव ने दी खुली चेतावनी

सपा लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा, “हमारे नेता अखिलेश यादव को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। पोस्टर के जरिए भड़काऊ और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

इस पूरे विवाद की शुरुआत 16 मई को हुई, जब सपा के मीडिया सेल के आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के डीएनए पर सवाल उठाया गया। इसके बाद ब्रजेश पाठक ने सपा अध्यक्ष को टैग करते हुए पूछा कि क्या यही उनकी पार्टी की भाषा है और दिवंगत माता-पिता पर ऐसी टिप्पणियां करना कितना उचित है?

अखिलेश यादव का संयमित जवाब

अखिलेश यादव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि पार्टी ने इस पोस्ट पर ध्यान दिया है और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर उन्हें समझाया गया है कि ऐसी भाषा दोबारा न दोहराई जाए। साथ ही उन्होंने पाठक को भी उनकी भाषा की मर्यादा बनाए रखने की सलाह दी।

ब्रजेश पाठक का कड़ा पलटवार

इसके जवाब में ब्रजेश पाठक ने सपा पर ‘जातिवाद’ और ‘तुष्टिकरण’ की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा का राजनीतिक डीएनए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति से जुड़ा है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि अखिलेश सरकार में दलितों को हाशिए पर रखा गया।

शायरी में बदल गया सियासी तकरार

विवाद का स्तर सिर्फ बयानबाज़ी तक ही नहीं रहा, बल्कि शायरी के ज़रिए भी नेताओं ने एक-दूसरे पर कटाक्ष किया। ब्रजेश पाठक ने लिखा:

“उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा,

धूल चेहरे पे थी, आईना साफ़ करता रहा।”

जवाब में अखिलेश ने भी शायराना तंज कसते हुए लिखा:

“हुक्मरानों की बदज़ुबानी पर भी आज़ादी,

और किसी की सच कहने पर गिरफ़्तारी।”

लखनऊ की सड़कों पर ‘पोस्टर युद्ध’

इस राजनीतिक तकरार ने अब लखनऊ की गलियों और चौराहों तक पहुंच बना ली है। भाजपा के जीशान खान ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में अखिलेश यादव के खिलाफ पोस्टर लगाए, जिसका सपा कार्यकर्ताओं ने विरोध किया और कई जगहों पर इन पोस्टरों पर कालिख पोत दी।

जहां भाजपा कार्यकर्ताओं ने सपा के इस विरोध को ‘गुंडागर्दी’ बताया है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है, वहीं सपा समर्थकों ने चेतावनी दी है कि अगर भाजपा नेताओं की बयानबाज़ी और पोस्टरबाज़ी नहीं रुकी, तो वे और भी उग्र विरोध करेंगे।

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