टैरिफ: आपदा में अवसर भी

Sandesh Wahak Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर मनमाने ढंग से भारतीय वस्तुओं के अमेरिका में निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा ट्रंप ने भारत को धमकी देते हुए और भी प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं। हालांकि इस मामले में ट्रंप को भारत ने दो टूक कह दिया है कि वह अपने किसानों और पशुपालकों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। माना जा रहा है कि यदि टैरिफ पर बात नहीं बनती है तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

सवाल यह है कि:

  • ट्रंप के टैरिफ का भारत पर क्या असर होगा?
  • क्या इससे निपटने के लिए भारत को अपनी सुधारात्मक नीतियों में बदलाव करना होगा?
  • क्या भारत टैरिफ की इस आपदा को अवसर में बदल देगी?
  • क्या दुनिया के अन्य देशों में भारत अमेरिका में होने वाली वस्तुओं के निर्यात का बाजार खोज पाएगा?
  • क्या अमेरिका पर भी इसका असर पड़ेगा?

रूस से पेट्रोलियम पदार्थों की खरीद रोकने के लिए ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ थोप दिया है लेकिन यह इसकी वजह नहीं है। असली कारण यह है कि ट्रंप भारत की कृषि, डेयरी और लघु उद्यमों में अमेरिका की पहुंच चाहते हैं। इसलिए वे टैरिफ का दबाव बना रहे हैं। यदि भारत, अमेरिका को यह छूट देता है तो देश के किसान, पशुपालक और छोटे उद्यमी बर्बाद हो जाएंगे। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कह दिया है कि वह देश के किसानों व पशुपालकों के हितों से समझौता नहीं कर सकते हैं। डेयरी का मामला खतरनाक है। अमेरिका अपने पशुओं को मांस युक्त चारा खिलाता है जिसे भारतीय संस्कृति के लिहाज से कभी भी मंजूर नहीं किया जा सकता। यही हाल छोटे उद्यमों का है।

देश के हित में समझौता नहीं करेगी भारत सरकार

मसलन, हमारे यहां चमड़ा व फुटवियर उद्योग में लाखों लोग जुड़े हैं और इनसे उनकी रोजी-रोटी चलती है। यही स्थिति अन्य छोटे उद्योग धंधों का है। स्वाभाविक है भारत सरकार देश हित से समझौता नहीं कर सकती है। वैसे भी टैरिफ से सिर्फ भारत को नहीं बल्कि अमेरिका को भी नुकसान होगा। भारत ने जवाबी कार्रवाई की तो अमेरिका की वस्तुएं यहां महंगी हो जाएंगी और उन्हें खरीदार नहीं मिलेगा। कई अमेरिकन कंपनियां तबाह हो जाएंगी।

वहीं अमेरिका में भारतीय वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, इसका सीधा असर अमेरिका की महंगाई पर पड़ेगा। इन सबके बावजूद भारत के लिए यह टैरिफ आपदा में किसी अवसर से कम नहीं है। भारत सरकार को चाहिए कि वह ब्रिटेन की तरह अन्य देशों में अपनी वस्तुओं के लिए बाजार तलाशे। साथ ही अपने आर्थिक सुधारवादी नीतियों पर मंथन करे और उन्हें और लचीला बनाए ताकि भारतीय उद्यम यहां तेजी से रफ्तार पकड़े। चूंकि भारत खुद बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार है ऐसे में स्वदेशी के मंत्र को यदि जमीन पर उतारा गया तो अमेरिका के टैरिफ का भले ही तत्कालीन कुछ असर दिखे इसका दूरगामी प्रभाव नहीं पड़ेगा और भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ सकेगा।

लेखक: सुर्यकांत त्रिपाठी

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