कानपुर की फर्जी ‘डॉक्टर’ अनुष्का तिवारी का सबसे बड़ा झूठ बेनकाब, MBBS की डिग्री भी नहीं, फिर भी…

Sandesh Wahak Digital Desk: कानपुर जिले में हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद दो इंजीनियरों की दर्दनाक मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। जांच में खुलासा हुआ है कि खुद को ‘डर्मेटोलॉजिस्ट’ बताकर सर्जरी करने वाली अनुष्का तिवारी के पास MBBS की डिग्री तक नहीं है। इस मामले में पुलिस ने अनुष्का तिवारी और उनके पति सौरभ तिवारी को मुख्य आरोपी माना है। फिलहाल दोनों फरार हैं और पुलिस टीमें उनकी तलाश में जुटी हैं।

दो मौतों से खुला फर्जीवाड़ा

यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब पनकी पावर हाउस के इंजीनियर विनीत दुबे और इंजीनियर मयंक कटियार की हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही और अयोग्यता ही इन मौतों का कारण बनी।

पुलिस जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अनुष्का तिवारी के पास सिर्फ Bachelor of Dental Surgery (BDS) की डिग्री है। उन्होंने खुद को डर्मेटोलॉजिस्ट और हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन बताया। उनके पास न तो अनुभव था, न ही प्रशिक्षित सर्जिकल स्टाफ। क्लिनिक में कोई ट्रेंड असिस्टेंट तक मौजूद नहीं था। एसीपी अभिषेक पांडेय के अनुसार अनुष्का का क्लिनिक पूरी तरह अवैध था। वह मेडिकल योग्यता के झूठे दावे कर रही थीं और गंभीर सर्जरी कर रही थीं।

पति भी बना सहयोगी

अनुष्का तिवारी के पति सौरभ तिवारी, जो कि MDS (Master of Dental Surgery) हैं, भी क्लिनिक में उनके साथ सक्रिय भूमिका निभाते थे। मृतक इंजीनियर विनीत दुबे की पत्नी जया त्रिपाठी ने सौरभ पर भी फर्जीवाड़े में भागीदारी का आरोप लगाया है। घटना के बाद से अनुष्का और सौरभ दोनों ही फरार हैं। उनके मोबाइल फोन बंद हैं और लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही है। पुलिस ने दोनों को बयान के लिए दो बार नोटिस भेजा, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए।

बीडीएस एसोसिएशन ने भी किया किनारा

उत्तर प्रदेश बीडीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश तिवारी ने बताया कि अनुष्का तिवारी एसोसिएशन की सदस्य भी नहीं हैं, और उनके पास कोई वैध रजिस्ट्रेशन नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस तरह के फर्जी डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

डीसीपी ने सीएमओ को लिखा पत्र

डीसीपी दिनेश त्रिपाठी ने इस गंभीर मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को पत्र लिखकर पूछा है कि बिना आवश्यक अनुमति, संसाधनों और योग्यता के कैसे यह क्लिनिक संचालित हो रहा था? सीएमओ की रिपोर्ट के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला सिर्फ मेडिकल लापरवाही का नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया धोखा है, जिसने दो निर्दोष जानें ले लीं। यह सवाल भी खड़ा करता है कि बिना वैध डिग्री और रजिस्ट्रेशन के कैसे कोई व्यक्ति सर्जरी जैसे गंभीर कार्य को अंजाम दे सकता है? प्रशासन और चिकित्सा विभाग की चुप्पी भी इस पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करती है।

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