UP: विधानसभा पहुंचा नगर निगम अफसरों के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा

303 करोड़ की अनियमितताओं के मामले में पटल पर रखी गई रिपोर्ट

Sandesh Wahak Digital Desk : अफसरों के काले कारनामों के लिए विख्यात हो चुके लखनऊ नगर निगम में 303 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग की ओर से एक दिन पूर्व विधानसभा में इस संबंध में एक रिपोर्ट रखी गयी है। वित्तीय वर्ष 2013 और 2014-15 की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन अफसरों व इंजीनियरों के खेल से नगर निगम को भारी वित्तीय क्षति हुई है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की मनमानी आपूर्ति हुई। भुगतान में 84.02 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता हुई। एस्टीमेट में बिना प्रावधान के अतिरिक्त कार्य कराकर 68.49 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। कश्मीरी मोहल्ला तिराहे से तिवारी मेडिकल स्टोर तक इण्टर लॉकिंग सड़क निर्माण में 26.75 लाख का अधिक भुगतान किया गया। अमीर नगर में सड़क के पुनर्निर्माण के नाम पर 35.70 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। अंग्रेजी शराब की दुकानों से 26.78 लाख रुपये की वसूली न करने से वित्तीय क्षति हुई।

इस खेल में दर्जनों अफसरों-कर्मचारियों के शामिल होने का जिक्र

यही नहीं नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में सूचीबद्घ कार्यदायी संस्था लॉयर सिक्योरिटी पर भी अफसरों की मेहरबानी उजागर हुई है। इस फर्म को 33.24 लाख रुपये का अनियमित भुगतान किया गया है। इस खेल में नगर निगम के दर्जनों अफसर-कर्मचारियों के शामिल होने की बात कही जा रही है। गृहकर निर्धारण में भी खेल किए जाने से नगर निगम को 39.17 लाख की वित्तीय क्षति हुई है। इसके अलावा नगर निगम के अधिकारियों ने सफाई कर्मचारी कल्याण निधि का संचालन न कर शासन की नीति के अनुसार कर्मचारियों को कल्याणकारी योजना से वंचित रखा।

करोड़ों के भुगतान का सच उजागर

रिपोर्ट के अनुसार सीएंडडीएस को बिना रसीद के 1.16 करोड़ का भुगतान किया गया। 52 लाख का काम सीएंडडीएस से न कराकर नगर निगम से कराया। प्राथमिक पाठशाला भोला खेड़ा के निर्माण में 31.44 लाख रुपये का अनियमित भुगतान किया गया। फर्मों व ठेकेदारों से व्यापार कर व सेवाकर में कटौती न करने से 48.96 लाख की क्षति हुई। लेबर सेस, आयकर, टीडीएस रायल्टी की कटौती न करने से 10.02 लाख की वित्तीय क्षति हुई।

वित्तीय वर्ष 2012-13 के सापेक्ष 2013-14 में राजस्व की 2.25 करोड़ की राजस्व हानि हुई। कुछ मदों में 99.90 करोड़ का अधिक व्यय किया गया। बजट के विभिन्न मदों में  कुल 179.90 करोड़ का अधिक व्यय दर्शाया गया। बजटीय प्रावधान से 12.99 करोड़ रुपये अधिक व्यय किया गया। विभिन्न मदों में 28.01 लाख की आय में कमी से वित्तीय क्षति सामने आई। नगर निगम के अधिकारियों कर्मचारियों को 1.6 करोड़ रुपये का अमान्य भुगतान किया गया।

अफसर-ठेकेदारों का गठजोड़ कर रहा खेल

स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट तो महज एक बानगी है। नगर निगम में पिछले कुछ सालों में अरबों रुपए के फर्जीवाड़े किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग में सफाई श्रमिकों के नाम पर कार्यदासी संस्थाओं को फर्जी भुगतान का सिलसिला अभी तक जारी है। श्रमिकों की गिनती केवल कागजों पर दर्ज होती है। इसके अलावा अभियंत्रण विभाग में इंजीनियर और ठेकेदारों का गठजोड़ फर्जी फाइलें बनाकर करोड़ों का खेल कर रहे हैं। इन काले कारमानों का अंदाजा इसी बता से लगाया जा सकता है कि नगर निगम के कुछ इंजीनियरों की संपत्ति लगातार बढ़ती जा रही है।

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