अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की बढ़ी मुसीबतें, ED के बाद अब MCA ने भी SFIO को सौंपी फंड हेराफेरी की जाँच
Sandesh Wahak Digital Desk: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप पर नियामक जाँच का शिकंजा अब और कस गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) और सेबी (SEBI) की कार्रवाई के बाद, अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने भी ग्रुप की कई कंपनियों में कथित फंड हेराफेरी की नई जाँच शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, MCA की शुरुआती जाँच में बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी और कंपनी अधिनियम के बड़े उल्लंघनों के संकेत मिले हैं। इसी गंभीरता को देखते हुए, MCA ने यह मामला अब गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय (SFIO) को सौंप दिया है। SFIO अब रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और सीएलई प्राइवेट लिमिटेड सहित ग्रुप की कई कंपनियों में फंड्स के प्रवाह की गहराई से जाँच करेगा। जाँच का उद्देश्य सीनियर मैनेजमेंट स्तर पर ज़िम्मेदारी तय करना है, जिसके बाद जाँच के परिणामों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

ईडी की कार्रवाई पहले ही जारी
MCA ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब ED पहले से ही रिलायंस ग्रुप के ख़िलाफ़ अपनी कार्रवाई तेज़ कर चुका है। इस हफ़्ते की शुरुआत में ED ने धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत ग्रुप की लगभग 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ कुर्क की थीं। इसमें अनिल अंबानी का मुंबई के पाली हिल स्थित पारिवारिक घर, साथ ही उनकी कंपनियों की अन्य आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियाँ शामिल हैं।
यह कुर्की मुख्य रूप से रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़े मामलों से संबंधित है, जिसमें 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए लोन का कथित रूप से दुरुपयोग किया गया था। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि वे सामान्य रूप से काम कर रही हैं और इस कार्रवाई का उनके संचालन या भविष्य की संभावनाओं पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है। खैर, 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क होने के बाद भी कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ना, यह एक अलग ही तरह की कॉन्फिडेंस की बात है।
Also Read: OYO होटल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर का शव फंदे से लटका मिला; आत्महत्या या साज़िश?

