विंग कमांडर पर टिप्पणी से मचा बवाल, रामगोपाल यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग

Sandesh Wahak Digital Desk: विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य प्रो. रामगोपाल यादव द्वारा की गई जातिसूचक टिप्पणी को लेकर देशभर में विरोध तेज हो गया है। मुरादाबाद सहित कई जिलों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं।

विहिप ने उठाई कार्रवाई की मांग

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य राजकमल गुप्ता ने मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाना में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने मांग की है कि रामगोपाल यादव के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।

अंबेडकर युवक संघ ने सौंपा ज्ञापन

अखिल भारतीय आंबेडकर युवक संघ ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि सैनिक देश के लिए जाति और धर्म से ऊपर उठकर अपनी सेवाएं देते हैं। ऐसे में नेताओं द्वारा की गई जातिगत टिप्पणियां न केवल समाज को बांटने वाली हैं, बल्कि सैनिकों के सम्मान का भी अपमान है।

Ram Gopal Yadav

विवादास्पद बयान पर बढ़ा विरोध

दरअसल विवाद की शुरुआत तब हुई जब प्रो. रामगोपाल यादव ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भाग लेने वाले सैन्य अधिकारियों की जातियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अभियान पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) वर्ग के अधिकारियों ने मिलकर लड़ा। उन्होंने विंग कमांडर व्योमिका सिंह को हरियाणा की जाटव, कर्नल सोफिया कुरैशी को मुस्लिम और एयर मार्शल ए.के. भारती को यादव बताते हुए यह बयान दिया।

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह केवल कुछ जातियों के नाम पर अभियान का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, जबकि असल योगदान पीडीए वर्ग से आने वाले अधिकारियों का रहा है।

विजय शाह के बयान पर भी जताई नाराजगी

प्रो. यादव ने मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह के एक कथित बयान की भी निंदा की, जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके खिलाफ मामला तो दर्ज हुआ, लेकिन भाजपा ने उन्हें अभी तक पार्टी से नहीं निकाला।

पत्रकारों से बातचीत में रामगोपाल यादव ने केंद्र सरकार की आतंकवाद विरोधी नीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि सेना जब दुश्मन देश के भीतर घुसकर आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करती है, तो सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर संघर्षविराम की ओर झुक जाती है, जिससे सैनिकों का मनोबल प्रभावित होता है।

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