संपादक की कलम से : भ्रष्टाचार का दलदल

Sandesh Wahak Digital Desk : झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों पर पड़े आयकर के छापों में करीब तीन सौ करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी मिली है। इसकी संख्या और भी बढ़ सकती है क्योंकि अभी और नोटों की गिनती होनी बाकी है। इसके अलावा कुछ और संभावित ठिकानों पर भी छापेमारी की तैयारी है।

सवाल यह है कि :

  • केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भ्रष्टाचार पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है?
  • क्यों तमाम सियासी दल भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे दिख रहे हैं?
  • कांग्रेस सांसद के पास इतनी बेहिसाब संपत्ति कहां से आई?
  • क्या कांग्रेस इस मामले को निजी मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ सकती है?
  • क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी को इस मामले में जनता को जवाब नहीं देना चाहिए?
  • इस अकूत संपत्ति को नोटों की शक्ल में क्यों इकट्ठा किया गया?
  • क्या लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बनने जा रहा है?
  • क्या  मजबूत इच्छाशक्ति के बिना देश से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकेगा?

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सियासी दल के किसी सदस्य के पास बेहिसाबी नकद नोट मिले हैं। इसके पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता चटर्जी के आवास से नोटों का पहाड़ मिल चुका है। नोटों का अंबार शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान ईडी को मिला था।

चारा घोटाले में सजा पा चुके राजद प्रमुख लालू प्रसाद

वहीं दिल्ली शराब घोटाले में नोट भले नहीं मिले हो, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह सलाखों की पीछे हैं और उनको जमानत तक नहीं मिल पा रही है। इसी तरह राजद प्रमुख लालू प्रसाद चारा घोटाले में सजा पा चुके हैं और अब नौकरी के बदले जमीन मामले में उनका पूरा परिवार घिरा हुआ है। खुद कांग्रेस के कई बड़े नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

अब कांग्रेस सांसद के यहां मिली बेहिसाब नकदी पूरी पार्टी और उसके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रही है और कांग्रेस को इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता। कांग्रेस ने अभी तक इस मामले में अपने सांसद के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। इससे भी शक की सूई पार्टी की ओर घूमती दिख रही है। सच यह है कि भ्रष्टाचार के मामले में कोई दल साफ सुथरा नहीं दिख रहा है।

इतना जरूर हुआ है कि सरकार के एक्टिव होने से ऐसे मामलों का तेजी से खुलासा हो रहा है और जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वाले पकड़े जा रहे हैं लेकिन भारत जैसे विशाल देश में ये कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है। सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। ऐसी रणनीति बनानी होगी ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सके। सरकार को विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी ध्यान देना होगा। इसके अलावा सियासी दलों को भी भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत इच्छाशक्ति दिखानी होगी अन्यथा उसकी पूरी सियासत ही खतरे में पड़ जाएगी।

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