Gonda News: ज़िंदगी-मौत से जूझती रही शिवानी, वार्डेन को बचाने में लगे रहे अधिकारी!

बीएसए, जिला समन्वयक बालिका शिक्षा व खंड शिक्षा अधिकारी पर उठाई जा रहीं उंगलियां

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: जिला गोंडा के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय जफरापुर में हुए हादसे में गंभीर रूप से घायल 12 साल की छात्रा शिवानी अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ रही थी और जिम्मेदार अधिकारी जांच के नाम पर कार्रवाई करने के बजाय वार्डेन को बचाने में लगे रहे। घटना के बारहवें दिन रविवार की मध्य रात्रि मासूम शिवानी जिंदगी की जंग हार गयी। इसके बाद अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी के साथ ही बालिका शिक्षा की जिला समन्वयक रक्क्षांदा सिंह को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय जफरापुर में सफाई के दौरान हैडवॉश समेत गिरी थी दीवार

आरोप लगाया जा रहा है कि इन अधिकारियों के साथ ही जांच टीम में शामिल अन्य जिम्मेदारों को शिवानी के इलाज व उसके स्वास्थ्य की चिंता नहीं थी, बल्कि ये सभी वार्डेन आशा पाण्डेय को बचाने में लगे रहे। छात्रा शिवानी की मां सुमित्रा ने बताया कि जब उसकी बेटी पीजीआई लखनऊ में भर्ती थी, तब वह वहां गयी थी। विद्यालय की वार्डेन आशा पांडेय शिवानी को डिस्चार्ज कराकर जब अयोध्या मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने लगीं तो उसने कहा कि वह अपनी बेटी को किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराएगी, जिससे की उसका बेहतर इलाज हो सके, लेकिन वार्डेन आशा पाण्डेय ने साफ मना कर दिया। सुमित्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि वार्डेन उसकी बेटी से रात 9 बजे हैंडवाश की सफाई करा रही थी।

विद्यालय की वार्डेन की लापरवाही सामने आने के बाद भी नहीं की गयी कार्रवाई

इस दौरान हैंडवाश समेत दीवार गिरने की घटना हुई लेकिन उसे साढ़े ग्यारह बजे सूचना दी गई। वह भागकर पीजीआई लखनऊ पहुंची। वहां से वार्डेन द्वारा तीसरे ही दिन शिवानी को डिस्चार्ज करा लिया गया और कहा कि बिटिया ठीक है घर लेकर जाइए। वहां से लाकर दर्शननगर अयोध्या में बड़ी मुश्किल से भर्ती कराए। वह बार-बार अपने बच्चे को देने की गुहार लगाती रही, जिससे उसका प्राइवेट अस्पताल में सही इलाज करा सके, लेकिन वार्डेन आशा पाण्डेय ने साफ इंकार कर दिया और आरोप है कि सुमित्रा को धमकी देते हुए कहा कि चाहे जिससे सिफारिश करा लो, मैं तुम्हें बेटी नहीं सौंप सकती।

मृतका की मां का आरोप है कि करीब एक हफ्ते से शिवानी का इलाज अयोध्या मेडिकल कॉलेज में चल रहा था। इस बीच वह बार-बार अपनी बेटी का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराने की बात कहती रही लेकिन वार्डेन ने उसकी एक न सुनी। जब रविवार को शिवानी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी, तब वार्डेन ने कहा कि लिखित रूप में दे दो, फिर अपनी बेटी को ले जाओ। मृतक छात्रा शिवानी की मां सुमित्रा का आरोप है कि उसकी बेटी की मौत की जिम्मेदार कस्तूरबा विद्यालय की वार्डेन आशा पाण्डेय हैं। सुमित्रा का कहना है कि उसे उसका बच्चा चाहिए।

वार्डेन कराती थी बच्चियों से साफ-सफाई

मृतक छात्रा शिवानी की मां सुमित्रा का कहना है कि रात में करीब 9 बजे जब हैंडवाश समेत दीवार गिरी, तब वार्डेन आशा पाण्डेय उसकी बेटी तथा अन्य छात्राओं से हैंडवाश की सफाई करवा रही थीं। वहीं दूसरी तरफ इस हादसे में घायल हुई छात्रा मीनाक्षी ने बताया कि वार्डेन आशा मैम हर हफ्ते अलग-अलग छात्राओं का समूह बनवाकर हैंडवाश सफाई, झाड़ू-पोछा के साथ ही बर्तन धुलवाने तक का काम कराती थीं। यदि कोई छात्रा मना कर देती थी तो बड़ी मैडम (वार्डेन) उसे डांटती-मारती थीं।

वार्डेन फरार, मोबाइल स्विच ऑफ

रविवार की मध्य रात्रि छात्रा शिवानी की हुई मौत के बाद से वार्डेन आशा पाण्डेय फरार बताई जा रही हैं। इस प्रकरण में मृतका की मां द्वारा लगाए जा रहे गंभीर आरोपों के संबंध में जब वार्डेन आशा पांडेय से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ मिला। सूत्रों का कहना है कि शिवानी की मौत के बाद से ही वह फरार है।

नेहा शर्मा, जिलाधिकारी
नेहा शर्मा,जिलाधिकारी

हादसे के 12 दिन बाद भी नहीं आई जांच रिपोर्ट

कस्तूरबा विद्यालय में स्थित मल्टीपल हैंडवॉश समेत दीवार गिरने एवं छात्राओं के घायल होने की घटना की गंभीरता को देखते हुए डीएम नेहा शर्मा ने तत्काल जांच समिति का गठन किया था। समिति में उप जिलाधिकारी तरबगंज राजीव मोहन सक्सेना एवं अधिशासी अभियंता, प्रांतीय खण्ड लोक निर्माण विभाग गोण्डा को नामित किया गया था। डीएम द्वारा समिति को सम्यक जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।

वहीं दूसरी तरफ, बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने बीईओ नवाबगंज बीएसए अतुल तिवारी ने खंड शिक्षा अधिकारी हर्षित पाण्डेय समेत 2 सदस्यीय खंड शिक्षा अधिकारियों की जांच टीम का गठन कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था, लेकिन 12 दिन बाद भी जांचें पूरी नहीं हो सकीं। ऐसे में जांच टीमों की निष्पक्षता एवं कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

राजीव मोहन सक्सेना, एसडीएम तरबगंज

क्या कहते हैं एसडीएम राजीव मोहन सक्सेना ?

जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा गठित टीम के जांच अधिकारी एसडीएम तरबगंज राजीव मोहन सक्सेना का कहना है कि छात्रा की मौत की घटना दुखद है। दीवार गिरने के मामले में निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए सैम्पलिंग कराई गयी है। घटना से जुड़े हर पहलुओं की बारीकी से जांचकर की जा रही है। दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

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