नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के लिए मारिया कोरिना मचादो के नाम का ऐलान, ट्रंप का पुरस्कार जीतने का सपना टूटा
Sandesh Wahak Digital Desk: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) का ऐलान शुक्रवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में कर दिया गया। इस साल का प्रतिष्ठित पुरस्कार वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचादो (María Corina Machado) को प्रदान किया गया है।
इस घोषणा के साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पुरस्कार जीतने का सपना भी चकनाचूर हो गया। ट्रंप अपनी विदेश नीति की कुछ उपलब्धियों के आधार पर इस पुरस्कार के लिए काफी बेचैन थे। हालांकि, नोबेल विशेषज्ञों ने पहले ही कह दिया था कि उनके जीतने की संभावना बहुत कम है।

मानवाधिकारों के लिए मारिया कोरिना का संघर्ष
नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने मारिया कोरिना मचादो को यह सम्मान शांति को बढ़ावा देने, देशों के बीच भाईचारे को मजबूत करने और समाज के लिए काम करने में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया है। वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता रहीं मारिया कोरिना ने 2002 में वोट निगरानी समूह ‘सूमाते’ की स्थापना की थी।
वह निकोलस मादुरो सरकार की धुर विरोधी रही हैं और उनके देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। राजनीतिक रूप से अयोग्य ठहराए जाने के बावजूद, उन्होंने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी प्राइमरी जीती थी। उन्हें 2018 में बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं और 2025 में टाइम पत्रिका की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में भी शामिल किया गया था।
क्यों खास है नोबेल शांति पुरस्कार
नोबेल शांति पुरस्कार को दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक माना जाता है। अन्य सभी नोबेल पुरस्कार (चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और साहित्य) स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में घोषित और प्रदान किए जाते हैं, जबकि शांति पुरस्कार का ऐलान और समारोह नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में होता है। पिछले साल (2024) यह पुरस्कार जापान की संस्था निहोन हिदानक्यो को दिया गया था, जो परमाणु हथियारों के खिलाफ काम करती है। अब सबकी निगाहें सोमवार को होने वाले अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा पर टिकी हैं।
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