पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ को बंगला खाली करने का नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लिखी चिठ्ठी

Sandesh Wahak Digital Desk: पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ को रिटायरमेंट के आठ महीने बाद भी आधिकारिक सरकारी बंगले में बने रहना भारी पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर उनसे 5, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला खाली कराने की मांग की है।
दरअसल, 10 नवंबर 2024 को दो साल का कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत्त हुए चंद्रचूड़ को, बतौर चीफ जस्टिस, टाइप-8 श्रेणी का यह विशिष्ट बंगला आवंटित हुआ था। रिटायरमेंट के बाद उन्हें नियमों के अनुसार टाइप-7 श्रेणी का वैकल्पिक सरकारी आवास दिया गया था, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट प्रशासन से 30 अप्रैल 2025 तक वहीं रहने की विशेष अनुमति ले ली थी।
बाद में वर्तमान सीजेआई बी. आर. गवई की अनुमति से यह अवधि 31 मई 2025 तक बढ़ा दी गई। लेकिन, अब जुलाई आ चुका है, और चंद्रचूड़ अब भी बंगले में रह रहे हैं।
बंगला खाली न करने से न्यायपालिका को परेशानी
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की चिट्ठी में यह साफ कहा गया है कि रिटायरमेंट के इतने महीने बाद भी आधिकारिक बंगले में रहना सरकारी नियमों का उल्लंघन है। नए जजों के लिए आवास की व्यवस्था में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे न्यायिक व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है।
नियम और परिस्थितियां
- पूर्व सीजेआई को रिटायरमेंट के बाद कुछ समय के लिए टाइप-7 बंगला अस्थायी आवास के रूप में आवंटित किया जाता है।
- चंद्रचूड़ को विशेष अनुमति से टाइप-8 बंगले में रहने की छूट मिली थी, लेकिन वह समयसीमा 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है।
- अब यह बंगला नए मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक निवास के तौर पर फिर से खाली किया जाना जरूरी है।
क्यों मिली अब तक छूट?
सूत्रों के अनुसार, चंद्रचूड़ के बाद मुख्य न्यायाधीश बने संजीव खन्ना और वर्तमान सीजेआई बी. आर. गवई ने अपने पुराने आवास में ही रहना पसंद किया था, जिससे चंद्रचूड़ को आधिकारिक बंगले में कुछ समय अधिक रहने का अवसर मिला। लेकिन अब इस स्थिति को अधिक समय तक बनाए रखना संभव नहीं है।
आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस मामले को लेकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से स्पष्ट रूप से कहा है कि बंगला तत्काल खाली कराया जाए, ताकि न्यायिक अधिकारियों के लिए सुविधाजनक और समय पर आवास सुनिश्चित किया जा सके।
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