सिद्धार्थोत्सव के दूसरे दिन योग, नवाचार और साहित्य का संगम, 544 ब्लॉक में संक्रमण दर 1% से नीचे आई

Sandesh Wahak Digital Desk: सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में चल रहे पांच दिवसीय सिद्धार्थोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत भारतीय ज्ञान परंपरा, स्वास्थ्य जागरूकता, उद्यमिता और सांस्कृतिक गतिविधियों के समन्वय से हुई।

योग और स्वास्थ्य पर केंद्रित रहे सत्र

सिद्धार्थोत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत सुबह योग और जुम्बा सत्र से हुई, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों और शिक्षकों को योग के महत्व के प्रति जागरूक करना था।

कुलसचिव दीनानाथ यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज के व्यस्त जीवन में अष्टांग हृदय में वर्णित योगिक क्रियाएँ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, जिन्हें दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए।

इसके बाद ‘स्वस्थ भारत, विकसित भारत’ विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य और विकास में आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करना था। मुख्य वक्ता के रूप में माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज के प्रो. नौशाद आलम और डॉ. नीलम ने छात्रों को संतुलित आहार, स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया।

नवाचार और उद्यमशीलता को प्रोत्साहन

विद्यार्थियों में स्वरोजगार और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापार विचार प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में 14 छात्रों ने अपने स्टार्टअप प्रस्ताव प्रस्तुत किए।

विजेता: साक्षी पांडेय एवं टीम ने प्रथम, प्रियदर्शिनी पांडेय एवं टीम ने द्वितीय, और हिमांशु वर्मा एवं टीम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

दिन के अंतिम सत्रों में ‘इन्वेस्टमेंट एवं फाइनेंस’ विषय पर संगोष्ठी हुई। एसबीआई शाखा प्रबंधक पीयूष गोयल ने अनुशासन, विविधीकरण और समर्पण के माध्यम से निवेश प्रबंधन पर प्रकाश डाला। प्रो. सौरभ ने कहा कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए निवेश के प्रति जागरूकता आवश्यक है।

कला, साहित्य और संस्कृति का प्रदर्शन

सांस्कृतिक सत्र की शुरुआत एकल नृत्य प्रतियोगिता से हुई, जिसमें शालिनी शुक्ल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद लोकनृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें शालिनी एवं समूह प्रथम स्थान पर रहे। साहित्यिक सत्र में मुख्य कवि प्रो. अजय कुमार श्रीवास्तव की उपस्थिति में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने अपनी स्वरचित देशभक्ति, वीरता और श्रृंगार रस से ओतप्रोत रचनाओं का पाठ किया।

दिन का समापन ‘मेरा भारत, मेरा गौरव – भाषाएं एवं वेशभूषा’ विषयक भाषण प्रतियोगिता से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रो. नीता यादव (अध्यक्ष, छात्र कल्याण) ने कहा कि भारत की संस्कृति की शक्ति उसकी विविधता में निहित है, जिसे हमें गर्व के साथ आत्मसात करना चाहिए।

रिपोर्ट: जाकिर खान

 

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