चुनाव से पहले सपा ने सेट किया टारगेट, क्या राहुल गांधी की रणनीति पर चलेंगे अखिलेश यादव?

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज़ होने लगी हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समय से पहले चुनावी मोर्चा संभालते हुए वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों को बड़ा मुद्दा बना लिया है। पार्टी की सक्रियता से यह साफ संकेत मिल रहा है कि अखिलेश अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रणनीति पर चलने को तैयार दिख रहे हैं।
राहुल गांधी की राह पर अखिलेश?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बीते कुछ समय से लगातार वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों और चुनावी प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने देश के प्रमुख अखबारों में इस विषय पर लेख लिखे थे, जिसने सियासी हलकों में हलचल मचा दी थी। अब ठीक उसी राह पर यूपी में अखिलेश यादव भी वोटर लिस्ट के मुद्दे को चुनावी रणनीति का आधार बना रहे हैं।
‘फर्जी वोट हटेंगे, वोटर लिस्ट सुधरेगी’
सोमवार, 16 जून 2025 को लखनऊ में सपा के अल्पसंख्यक मोर्चे की बैठक के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में अखिलेश यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी का जोर इस बार वोटर लिस्ट की शुद्धता पर रहेगा। उन्होंने कहा हमारी पार्टी अपने हर कार्यकर्ता से अपील करेगी कि वह अपने नाम वोटर लिस्ट में चेक करें और अगर कोई गड़बड़ी हो तो उसे तुरंत ठीक कराएं। भाजपा ने फर्जी वोट बनवाए हैं, हम उन पर आपत्ति दर्ज कराएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान खासतौर पर मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं के लिए एक संदेश है। वह चाहते हैं कि चुनाव से पहले मुस्लिम मतदाता सजग रहें, अपने वोट की स्थिति जांचें और नाम गायब होने की स्थिति में समय रहते उसका समाधान करवाएं। बता दें कि बीते वर्ष उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के दौरान कई बार शिकायतें सामने आई थीं कि मुस्लिम मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब थे या उन्हें मतदान केंद्रों पर परेशान किया गया।
“भाजपा को मेलों से भी आपत्ति है” मेले पर भी उठाई आवाज़
अखिलेश यादव ने अपनी प्रेस वार्ता में सिर्फ वोटर लिस्ट तक बात सीमित नहीं रखी, बल्कि बहराइच और बाराबंकी में परंपरागत मेलों के न लगने पर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा “भाजपा नफरत फैलाने का काम कर रही है। जो मेले सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक थे, उन्हें बंद करवा दिया गया है। मेला, मेलजोल और कारोबार का स्थान होता है, गरीब वहां अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन भाजपा को इससे भी दिक्कत है। ये लोग खुशियों के खिलाफ हैं। मेला हमें जोड़ता है, कारोबार जोड़ता है, लेकिन ये सब भाजपा को मंजूर नहीं।”
अखिलेश के इस बयान को सांस्कृतिक आयोजनों को लेकर भाजपा की नीतियों के विरोध के रूप में देखा जा रहा है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार लगातार सामाजिक समरसता के प्रतीकों को कमजोर करने की दिशा में काम कर रही है।
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